हालांकि पुलिस को रेस्क्यू के चौथे दिन भी (jee student missing case) कोई सफलता नहीं मिल पाई है। देर रात तक टीमें सर्चिंग करती रही लेकिन कहीं कोई मदद नहीं मिल पाई है। पुलिस का कहना है कि अभी हम जांच ही कर रहे हैं। उसके कमरे से मिले सामान, मोबाइल की रिकवरी के आधार पर अंदेशा लगाया जा रहा है कि यह पूरा मामला ऑनलाइन गेमिंग का हो सकता है। जिसकी चपेट में आकर संभवत: उसने यह कदम उठाया हो। उसकी जो रस्सी और सामान मिले वह भी ऊंची खतरनाक चट्टान में मिले हैं। फिलहाल कुछ भी उसका पता नहीं चल पाया है।
फॉर्मेट मोबाइल छोड़ा
पुलिस को मौके पर मिला मोबाइल छात्र फॉर्मेट कर गया था। उसे रिकवर किया तो उसमें से फोटो मिले। जिसमें ब्लड से हाथ में तीन-चार उसने घाव कर रखे थे। साथ ही दीवार पर खून के पंजे के निशान का फोटो था। जिसमें लिखा था मैं टास्क पूरा करने जा रहा हूं, मैं मरने को तैयार हूं, बाय- टेक केयर। डायरी में वहां का समय 12.27 पर गुराड़िया महादेव लिखा था। इसके बाद वह टैक्सी से गया, 800 रुपए उसे दिए। फिर दरा सरेंच्यूरी का टिकिट ढाई बजे लिया। जिसे ऑनलाइन पैमेंट किया। इसके बाद मंदिर से 200 मीटर चाकू और अन्य सामान मिले।
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वन विभाग के दो कर्मचारियों और चुनिंदा रेस्क्यू टीम के अलावा बड़ी संख्या में ब्यावरा से पहुंचे लोगों ने चंबल नदी क्षेत्र और सूखे घने जंगल में सर्चिंग की। जहां उन्हें काफी दिक्कतें आई। पूरा सात से आठ किलोमीटर का एरिया उन्होंने बुधवार शाम तक छान मारा लेकिन कहीं कुछ पता नहीं चल पाया। बच्चे के पिता और अन्य परिजनों के साथ ही मौजूद अन्य लोगों को वहां भालु, तेंदुआ सहित अन्य जंगली जानवर भी नजर आए। जिससे वे दहशत में आ गए और ऊपर लौट आए।
नदी से 100 मीटर ऊंची चट्टान पर मिली रस्सी
पुलिस को सोमवार दोपहर बच्चे के सामान जहां से मिले वह चट्टान नदी से करीब 100 मीटर ऊपर थी। चट्टान के आखिरी छोर पर रस्सी पड़ी हुई थी। बाकि सामान अलग-अलग जगह से मिले हैं। कहीं बैग तो कहीं चाकू तो कहीं पॉवर बैंक, मोबाइल मिला। चट्टान इतनी ज्यादा खतरनाक है कि वहां आम आदमी जा ही नहीं सकता। बड़ी खाईनुमा नदी वहां से नजर आ रही थी। ऐसे में यह पूरी कहानी गेमिंग से प्रभावित होकर नजर आ रही है।