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राजगढ़

Dussehra 2024 : यहां इष्ट देव मानकर की जाती है रावण और कुंभकरण की पूजा, शांति और खुशहाली का प्रतीक मानते हैं लोग

Dussehra 2024 : राज्य के राजगढ़ जिले के भाटखेड़ी गांव में रावण और कुंभकरण की पूजा की जाती है। ग्रामीण दोनों को राक्षस नहीं, बल्कि इष्ट देव मानते हैं। गांव में स्थापित हैं रावण और कुंभकरण की 150 साल पुरानी मूर्तियां।

राजगढ़Oct 12, 2024 / 09:52 am

Faiz

Dussehra 2024
Dussehra 2024 : एक तरफ जहां देशभर में दशहरे के मौके पर रावण का पुतला जलाकर सांकेतिक रूप से बुराई का दहन किया जाता है तो वहीं देश के दिल कहे जाने वाले राज्य मध्‍य प्रदेश के राजगढ़ जिले का एक गांव ऐसा है, जहां रावण दहन नहीं किया जाता, बल्कि उससे सुख, शांति और समृद्धि की कामना करते हुए उसकी पूजा की जाती है।
हम बातकर रहे हैं जिले के अंतर्गत आने वाले भाटखेड़ी गांव की, जहां रावण और कुंभकरण की पूजा करते हुए गांव में सुख, शांति और समृद्धि की कामना की जाती है। यकीनन एक तरफ पूरा देश जश्न के साथ असत्य पर सत्य की जीत के लिए रावण के पुतले का दहन कर रहा होता है तो वहीं, दूसरी तरफ राजगढ़ जिले के इस गांव के लोग गाजे-बाजे के साथ रावण और कुंभकरण को इष्ट देव मानकर पूजा अर्चना करते हैं।
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गांव की रक्षा करते हैं दोनों भाई

खास बात ये है कि भाटखेड़ी गांव में करीब 150 साल पुरानी रावण और कुंभकरण की मूर्तियां भी स्थापित हैं। इन दोनों मूर्तियों को ग्राम के लोग इष्टदेव मानते हैं। मान्यता के अनुसार, इनकी पूजा करने से गांव पर कभी भी विपत्ति नहीं आती, साथ ही गांव में खुशहाली बनी रहती है। ग्रामीणों की मान्यता है कि, रावण और कुंभकरण दोनों भाई उनके गांव की रक्षा करते हैं।

यहां नहीं होता रावण दहन

पूरे देश में दशहरे के दिन रावण के साथ कुंभकरण और मेघनाथ का दहन होता है, लेकिन इस गांव में इस परंपरा को नहीं निभाया जाता, बल्कि यहां के लोग तो देशभर में मानी जाने वाली परम्परा पर अफसोस व्यक्त करते हैं। भाटखेड़ी गांव नेशनल हाईवे आगरा-मुंबई पर स्थित है। यहां पर नजदीक एक खेत में रावण और कुंभकरण की मूर्तियां स्थापित हैं, जबकि यहां के लोग बताते हैं कि ये मूर्तियां लगभग 150 साल से भी अधिक पुरानी हैं, जो कि उनके पूर्वजों के द्वारा ये स्थापित की थीं। इस गांव को रावण वाली भाटखेड़ी के नाम से भी जाना जाता है।
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नवरात्रि पर होती है रावण और कुंभकरण की पूजा

भाटखेड़ी के ग्रामीणों का कहना है कि हम रावण और कुंभकरण को राक्षस नहीं मानते, बल्कि वो हमारे लिए इष्ट देवता हैं। उन्होंने ये भी कहा कि ये तो रावण और कुंभकरण के ही चमत्कार हैं, जो यहां दूर-दूर से लोग अपनी मुरादें लेकर आते हैं और उनकी मुराद भी पूरी होती है. वहीं, जब भी गांव में विपदा होती है या बारिश के मौसम में सूखे जैसी स्थिति दिखाई देती है तो गांव के लोग यहां इकट्ठा होकर रावण देवता से प्रार्थना करते हैं कि, उनके गांव में जल्द से जल्द बारिश हो। ये भी चमत्कार है कि जिस दिन ग्रामीण पूजा करते हैं, उसी दिन बारिश भी शुरू हो जाती है। इसके अलावा, विशेष रूप से यहां दंपत्ति संतान प्राप्ति क पूजा करने आते हैं।

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