ये शर्मसार कर देने वाली तस्वीरें जीरापुर के गौ सेवा सदन समिति गौशाला की हैं। मामला उजागर होने के बाद जीरापुर नगर परिषद और गौशाला प्रबंधक एक दूसरे पर आरोप लगाने में जुट गया है। सेवा सदन गौशाला के उपाध्यक्ष बलराम टांक ने मीडिया को बताया कि, नगर परिषद की तरफ से जीरापुर नगर की गायों के शव इस जगह पर लाकर दफनाए जाते हैं। वहीं दूसरी तरफ नगर परिषद ने गौशाला प्रबंधक के इस दावे को गलत ठहराते हुए कहा कि, गौशाला में जितने भी शव है वो गौ सेवा सदन गौशाला के ही गौवंशों के हैं। जब भी गौशाला में गोवंश की मौत होती है, तो उनको दफनाने के लिए नगर परिषद को वहीं लोग बुलाते हैं।
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कितने भूखे होंगे गौवंश, जो शव का मास खाने को हुए मजबूर
इससे ये अंदाजा भी लगाया जा सकता है कि, अगर गाय ही मृत गौवंश को खाने को मजबूर हैं तो वो किस कदर की भूख से ग्रस्त होंगी। उनकी भूक का आलम क्या होगा ? ऐसे में जानकारों का मानना है कि, गौशाला के नाम पर गायों के पोषण आहार पर भी घोटाला हो रहा है। फिलहाल, जांच के बाद ही स्थितियां स्पष्ट हो सकेंगी। हालांकि, जांच तो इस बात की भी होनी चाहिए कि, आखिर इतनी अधिक संख्या में गायों की मौत का कारण क्या था। संभव है कि, मौत कारण भूख ही हो।
लापरवाही उजागर
मामले को लेकर पशु चिकित्सा अधिकारी महिपाल सिंह का कहना है कि, गौशाला प्रबंधन की ओर से लापरवाही बरती गई है। फिलहाल, मामला सामने आने के बाद निरीक्षण के आदेश दे दिये गए हैं। उन्होंने ये भी कहा कि, जहां गोवंश को दफनाया जाता है, वहां गायों को टहलने भेजना ही नहीं देना चाहिए। साथ ही, मृत गायों को अच्छी तरह गड्ढा खोदकर दफनाना चाहिए। इसके लिए नगर पालिका और सीएमएचओ को निर्देश दिए जाने है।