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वन्य जीवों को खतरा: सात साल में बरखेड़ा-बुधनी के बीच 7 बाघ, 11 तेंदुए और 6 अन्य जीवों की मौत

रातापानी अभयारण्य से गुजरी रेलवे लाइन से लगातार हो रहे हादसे

रायसेनJun 02, 2022 / 01:57 pm

दीपेश तिवारी

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औबेदुल्लागंज(रायसेन)@दीपक नागर

रातापानी अभयारण्य से गुजरी रेलवे लाइन वन्यजीवों की मौत का कारण बनी हुई है। सात साल में बरखेड़ा-बुधनी के बीच सात बाघ, 11 तेंदुए और छह वन्यप्राणी ट्रेन से टकराकर अपनी जान गंवा चुके हैं। वन विभाग रेलवे विभाग को कई बार ओवरपास और अंडरपास बनाने का प्रस्ताव भेज चुका है, लेकिन रेलवे प्रस्तावों को कोई महत्व ही नहीं दे रहा है।

वन परिक्षेत्र बरखेड़ा से गुजरी रेलवे लाइन पर रेलवे विभाग द्वारा फेंसिंग करने की योजना है, लेकिन फेंसिंग तब तक नहीं हो सकती, जब तक रेलवे अंडरपास व ओवरपास का निर्माण न करे। इसलिए जंगल में फेंसिंग का कार्य भी रुका हुआ है। यदि अंडरपास और ओवरब्रिज के बिना रेलवे फेंसिंग कर देगा तो वन्यप्राणी रेलवे लाइन से इधर-उधर नहीं हो पाएंगे और एक क्षेत्र में कैद हो जाएंगे।

घने जंगल से गुजरी 11 किमी की रेलवे लाइन
वन मंडल के बरखेड़ा परिक्षेत्र के घने जंगल के बीच से रेलवे लाइन गुजरी है। बरखेड़ा परिक्षेत्र में भीमबैठका से मिडघाट तक रेलवे लाइन की लंबाई 11 किलोमीटर है। इसके बाद बुधनी परिक्षेत्र की सीमा शुरू होती है। भीमबैठका और बुधनी के बीच जंगल में हर साल दर्जनों वन्यजीवों की जान चले जाने के बावजूद रेलवे विभाग इस दिशा में कुछ नहीं कर रहा है।

प्रस्तावों पर रेलवे कब करेगा अमल
वन विभाग ने नवंबर 2021 में रेलवे विभाग को प्रस्ताव भेजकर रातापानी अभयारण्य में पांच ओवरपास बनाने व नौ अंडरपास बनाने की बात कही थी, लेकिन रेलवे ने अभी तक इस पर कोई रुचि नहीं दिखाई है। वहीं, राष्ट्रीय वन्यप्राणी बोर्ड द्वारा 2018 में बरखेड़ा-बुधनी के मध्य तीसरी रेलवे लाइन स्वीकृति के समय चार ओवरपास बनाने की शर्त थी, लेकिन रेलवे ने इस शर्त को भी अभी तक पूरा नहीं किया है।

बरखेड़ा परिक्षेत्र के जंगल से करीब 11 किमी रेलवे लाइन गुजरी है। हम लगातार गस्त करते हैं ताकि हादसे न हो और पानी के 9 सोसर भी बनाए हैं, ताकि वन्यजीवों को पानी के लिए इधर-उधर न भटकना पड़े। यदि जंगल में रेलवे विभाग अंडरपास व ओवरपास बनाता है तो वन्यजीवों के लिए काफी अच्छा होगा।
– विकास सुलिया, परिक्षेत्र अधिकारी, बरखेड़ा

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