समाज के लोग हर साल राजधानी के टाटीबंध रिंग रोड-2 पर श्री अय्यप्पा स्वामी मंदिर में पूजा अभिषेकम् में जुटते हैं। इसी पूजा उत्सव के दिन मंदिर की सभी 18 पवित्र सीढिय़ों से होकर भगवान के गर्भगृह में प्रवेश का सौभाग्य भक्त परिवारों को मिलता है, जो विशेष परिधान में नजर आते हैं। मंत्रोच्चार और भजन गंगा के बीच सभी बारी-बारी पूजा-अर्चना कर भगवान अय्यप्पा स्वामी के दर्शन करते हैं। इस दौरान मंदिर परिसर में भक्तिमय माहौल दिनभर रहता है। सभी जगहों से समाज के लोग भगवान के मंडल पूजा उत्सव में भक्तिभाव से शामिल होते हैं। जैसा उत्सव केरल के शबरीमाला मंदिर में संपन्न किया जाता है।
श्री अय्यप्पा सेवा संघम् के अध्यक्ष विनोद पिल्लई तथा सचिव एमएन सुकुमारन ने बताया कि साल के आखिरी सप्ताह का यह सबसे बड़ा पूजा उत्सव होता है। जो कि पारंपरिक और वैदिक विधान से संपन्न किया जाता है। जो श्रद्धालु पहले से मंदिर कार्यालय में पंजीयन कराए रहते हैं, उन्हें ही मंडल पूजा उत्सव में मंदिर की पवित्र अय्यप्पा सीढिय़ों पर आरोहण करने का मौका मिलता है। इस बार 50 से अधिक कठोर व्रतधारी भक्तों को यह सौभाग्य प्राप्त हुआ है, जिन्होंने पवित्र सीढिय़ों का आरोहण कर मंदिर के गर्भगृह तक पहुंचे।
भोर से शुरू हुआ पूजन, भजन गंगा देर शाम तक गूंजित
भोर 4.30 बजे प्रभात फेरी के बाद पूजा अभिषेक का विधान प्रारंभ हुआ। इस दौरान भगवान अय्यप्पा के जयकारे से पूरा परिसर गुंजित हुआ। देर शाम तक भजन गंगा का हजारों भक्तों ने आनंद लिया। शाम के समय पवित्र सीढिय़ां दीप मालाओं से रोशन हुई। मनोकामना पूर्ण करने की मन्नत से सैकड़ों भक्तों ने दीप जलाकर आराधना की। भजन गंगा के बीच भोग पूजा के बाद प्रसाद वितरित किया गया। पूजा उत्सव कोरोना नियमों के अनुसार संपन्न किया गया। अब मकर संक्रांति पर मंदिर की पवित्र सीढिय़ां खुलेंगी।