यह भूकम्परोधी और अग्निरोधी है. 2000 लोग एक साथ इस मीनार के अंदर एक समय पर आ सखते है। सात फ्लोर की है ये ईमारत। सबसे ऊपर वाले फ्लोर पर एक साथ 200 लोग आराम से आ सखते है।
गिरौदपुरी छत्तीसगढ़ के समाज सुधारक और सतनाम पंथ के प्रवर्तक गुरू घासीदास की जन्म भूमि और तपोभूमि है। करीब ढाई सौ साल पहले 18 दिसंबर 1756 को गुरु घासीदास का जन्म हुआ था।
छाता पहाड़ जो की गिरौदपुरी छत्तीसगढ़ के पास है वहाँ पर उन्होंने कठिन तपस्या की और अपने आध्यात्मिक ज्ञान से देश दुनिया को सत्य के रस्ते पर चलना सिखाया।