लगातार बारिश तब रोपें वन विभाग के मापदंडों के अनुसार जमीन जब डेढ़ फीट तक नम हो जाती है, तब पौधरोपण करना सही होता है। फिलहाल शहर समेत पूरे प्रदेश की धरती (World Environment Day) गर्मी से तप रही है। आलम ये है कि एक दिन की बारिश से भी काम नहीं चलेगा। लगातार तीन दिनों तक झड़ी लगे, तब कहीं जाकर जमीन पौधों के पनपने लायक होगी।
मौसम विज्ञानियों के अनुमान के मुताबिक 5 जून को रायपुर समेत प्रदेश के अधिकांश इलाकों का तापमान 38 से 43 डिग्री के बीच रहेगा। जाहिर है कि पर्यावरण दिवस पर लगाए गए पौधे गर्मी से ही मर जाएंगे।
मानसून 16 के बाद, फिर भी नासमझी पर्यावरण दिवस का उद्देश्य लोगों को जागरूक करना है। छत्तीसगढ़ में इस दिन पौधे लगाने और तस्वीरें खिंचवाने को ही पर्यावरण दिवस माना जाता है जो गलत परिपाटी है। सरकारी नुमाइंदों और सामाजिक संस्थाओं को ये पता है कि मानसून 15 जून के बाद दस्तक देता है। इससे पहले पौधरोपण बेकार है।
नगर निगम: 20 दिन पहले पौधरोपण नगर निगम में 15 मई से ही शहर के सभी 70 वार्डों में सघन पौधरोपण जारी है। ये अभियान पर्यावरण दिवस पर खत्म होने वाला है। गर्मी में ये पौधे भी खत्म (World Environment Day) हो जाएंगे। पिछले साल भी निगम ने हर घर हरियाली अभियान के तहत शहरभर में 2 लाख से ज्यादा पौधे लगवाए थे। इनमें से ज्यादातर मर गए।
पौधरोपण के लिए वन विभाग का नियम वन विभाग की ओर से 2013 में जारी दिशा-निर्देशों के मुताबिक, प्रदेश में मानसून 15 जून के बाद दस्तक देता है। पौधरोपण मानसून आने पर जमीन में डेढ़ फीट तक नमी होने के बाद शुरू करना चाहिए। ये काम हर हाल में 31 जुलाई तक पूरा हो जाना चाहिए। प्रयास करें कि पौधरोपण 20 जुलाई तक ही हो जाए। बारिश या अन्य किसी वजह से 31 जुलाई तक पौधरोपण संभव न हो तो प्रधान वन संरक्षक से लिखित में अनुमति लेना अनिवार्य है।
आत्मानंद स्कूलों में 1 लाख से ज्यादा पौधे रोपेंगे विश्व पर्यावरण दिवस पर वन विभाग द्वारा 337 आत्मानंद स्कूलों में आम, जामुन, अमरूद, नींबू आदि प्रजातियों के 1 लाख से ज्यादा पौधे रोपे जाएंगे।
टॉपिक एक्सपर्ट सुझाव पर अमल नहीं सभी सरकारी विभागों में पर्यावरणविदों की नियुक्ति करने हमने शासन को सुझाव दिया था। इस पर अब तक अमल नहीं हो पाया है। इस सिफारिश के लागू हुए बिना बदलाव की उम्मीद नहीं की जा सकती क्योंकि पर्यावरण के बारे में पर्यावरणविद ही बेहतर बता पाएंगे। सामाजिक संस्थाओं की भी जिम्मेदारी है कि वे वाकई पर्यावरण बचाना चाहते हैं तो जानकारों से सलाह-मशविरा कर पौधरोपण करें।
-डॉ. शम्स परवेज, पर्यावरणविद