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स्क्रब टाइफस के लक्षण टायफाइड बीमारी की तरह होता है। 2021-22 में मेडिसिन विभाग में पीजी के छात्र डॉ. शाहबाज खांडा ने इस बीमारी पर रिसर्च की। जब उन्होंने इस बीमारी का टॉपिक सुझाया तो गाइड भी आश्चर्यचकित थे, क्योंकि इस बीमारी की पहचान के लिए ब्लड जांच की सुविधा नहीं थी। रिसर्च शुरू हुई और 5 दिन से ज्यादा बुखार वाले मरीजों की जब जांच कराई गई तो डेढ़ साल में 31 मरीज मिल गए। दुर्भाग्यजनक बात ये रही कि ये ज्यादातर मरीज बस्तर, सरगुजा, राजनांदगांव जैसे इलाकों से पहुंचे थे और गंभीर थे। इसलिए इनमें 14 की मौत हो गई। डॉ. शाहबाज इन दिनों पीजी पास होने के बाद जांजगीर-चांपा के जिला अस्पताल में सेवाएं दे रहे हैं। वहां पिछले 6 माह में 28 मरीज की पहचान की। जल्दी बीमारी का पता लगने के कारण समय पर इलाज हुआ और इनमें सभी मरीज बच भी गए।
ये बीमारी फेफड़े, ब्रेन, लीवर किडनी को करता है संक्रमित
स्क्रब टाइफस बीमारी फेफड़े, ब्रेन, लीवर व किडनी को संक्रमित करता है। इसलिए जब तक इस बीमारी की जांच नहीं होती, तब तक इसे निमोनिया, पीलिया या मेंजानाइटिस समझकर इलाज किया जाता है। इस कारण कई मरीज इलाज के बाद भी ठीक नहीं होते। डॉक्टरों का कहना है कि इस बीमारी के लिए रैपिड व एलाइजा जांच की जाती है। एलाइजा से बीमारी की पुष्टि होती है। समय पर इलाज नहीं होने से ये बीमारी मल्टी ऑर्गन फेल कर देती है। इससे मरीज की मौत भी हाे सकती है। कई बार इसे रहस्यमयी बुखार भी कहा जाता है। कुछ मरीज कोमा में भी चले जाते हैं। यह भी पढ़ें