क्या आप जानते हैं कि आपके डेबिट कार्ड पर जो 16 अंकों का एक नंबर छपा होता है, उसका क्या मतलब है? ये 16 डिजिट आपके कार्ड से संबंधित जानकारी अपने पास रखते हैं. जब आप ऑनलाइन पेमेंट करते हैं तो इन्हीं नंबरों की मदद से पेमेंट सिस्टम को पता चल जाता है कि ये कार्ड किस कंपनी की ओर से जारी किया गया है. इसके अलावा ये नंबर आपको आपके बैंक अकाउंट के बारे में भी जानकारी देता है. यही नंबर आपके कार्ड की सुरक्षा सुनिश्चित करते है. यही वजह से कार्ड के गुम जाने पर तुरंत उसे ब्लॉक करने और बैंक को जानकारी देने की सलाह दी जाती है.
16 डिजिट में छिपी हैं अहम जानकारियां
अगर आपने गौर किया हो तो देखा होगा कि डेबिट कार्ड पर एक 16 अंकों का एक नंबर छपा होता है. इन 16 डिजिट में आपके कार्ड की बेहद महत्वपूर्ण जानकारियां होती हैं. यह नंबर आपके वेरिफिकेशन, सिक्योरिटी और पहचान के लिए बेहद काम के हैं. जब आप कोई भी पेमेंट करते हैं तो इन नंबरों के जरिए ही आपके बैंक अकाउंट नंबर, कार्ड की कंपनी की जानकारी मिलती है.
डेबिट कार्ड पर छपे 16 डिजिट के पहले 6 अंक बैंक आइडेंटिफिकेशन नंबर’ होते हैं. इसके बाद के 10 अंक कार्डहोल्डर का यूनिक नंबर कहा जाता है. इसीलिए कहा जाता है कि कार्ड खो जाने पर फौरन इसको ब्लॉक करा देना चाहिए. जानिए क्या होता है 16 डिजिट का मतलब..
पहला डिजिट
कार्ड पर दर्ज पहला अंक यह बताता है कि इस कार्ड को किस इंडस्ट्री ने जारी किया है. इस नंबर को मेजर इंडस्ट्री आइडेंटिफाई कहते हैं.
क्या है अंकों का मतलब
पहले 6 डिजिट यह बताते हैं कि कार्ड को किस कंपनी ने इश्यू किया है. इसे इश्यूर आइडेंटिफिकेशन नंबर कहते हैं. वहीं, सातवें अंक से लेकर 15वें अंक का संबंध बैक अकाउंट से होता है. वहीं, कार्ड का 16वां अंक यह बताता है कि आपका कार्ड कब तक वैलिड है. अंतिम डिजिट को चेकसम डिजिट कहते हैं.
आखिरी डिजिट का मतलब
किसी भी कार्ड के अंतिम डिजिट को चेकसम डिजिट कहते है. इस डिजिट से पता किया जाता है कि आपका कार्ड वैलिड है या नहीं. इसके अलावा ऑनलाइन पेमेंट करते समय आपसे हमेशा CVV पूछा जाता है. ये नंबर कभी भी किसी भी पेमेंट सिस्टम में सेव नहीं होता.