पुलिस के मुताबिक कटोरातालाब निवासी दिलीप सोनवानी अपने परिवार के साथ हरिद्वार की तीर्थयात्रा पर गए थे। लौटते समय 28 अगस्त को बिलासपुर प्रतीक्षालय में एक व्यक्ति से उनकी मुलाकात हुई। उसने अंबिकापुर के ग्राम चोटिया का निवासी बताया। इसके बाद दोनों में काफी देर तक बातचीत होती रही। वह काफी मिलनसार था।
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इससे दिलीप काफी प्रभावित हुआ। दोनों ने एक दूसरे का मोबाइल नंबर दिया। बातचीत के दौरान उसने बताया कि उसकी बेटी की तबीयत बहुत खराब है और उसे 20 हजार रुपए की आर्थिक मदद चाहिए। इस पर दिलीप ने सोचा कि जरूरतमंद की मदद करना भी पुण्य का काम है। वह रायपुर पहुंचकर उसकी मदद करेगा।
ठग को ढूंढते हुए उसके गांव गया
तीर्थ से लौटने के बाद दिलीप आरोपी की मदद करने 20 हजार रुपए लेकर 30 अगस्त को उसके बताए ग्राम चोटिया पहुंच गया। इसके बाद उसने उसे फोन किया। आरोपी ने बताया कि वह चोटिया के बाजार में मिलेगा। बाजार में उसकी मुलाकात हुई। और उसे बेटी का इलाज कराने 20 हजार रुपए दिया।
इस पर आरोपी ने कहा कि वह आदिवासी है। दूसरों से उधार नहीं लेते। उसके पास खुदाई में मिले सोने के बिस्किट हैं। ग्रामीण इलाका होने के कारण यहां नहीं बिक रहा है। इसे रायपुर में बेचना है। इसके बाद दिलीप रायपुर लौट गया। कुछ दिन बाद आरोपी ने वाट्सएप के जरिए एक वीडियो भेजा, जिसमें 6 कथित सोने के बिस्किट बेचते हुए दिखाया गया था। साथ उसने कहा कि उसके पास तीन सोने के बिस्किट हैं, जिसे वह बेचना चाहता है।
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इसकी कीमत ढाई लाख रुपए है। दिलीप उन बिस्किुटों को खरीदने के लिए तैयार हो गया और वापस चोटिया पहुंचा। इस पर आरोपी ने कहा कि उसका मोबाइल खराब हो गया है। उसके लिए कीपेड वाला मोबाइल खरीदकर लाना। दिलीप उसके लिए मोबाइल खरीदकर फिर चोटिया पहुंचा। इसके बाद आरोपी को अपनी कार में बैठाकर 4 सितंबर को कोतवाली के गांधी चौक मैदान पहुंचा। फिर अपने रिश्तेदार से ढाई लाख रुपए मंगाया।
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इसके बाद आरोपी से कथित सोने के तीनों बिस्किट ढाई लाख रुपए नगद देकर खरीद लिया। एक बिस्किट करीब 300 ग्राम के थे। इसके बाद आरोपी नगदी लेकर चला गया। अगले दिन दिलीप ने बिस्किट की जांच कराई, तो तीनों सोने के बजाय पीतल के बिस्किट निकले। इसके बाद उसे ठगी का एहसास हुआ।
उन्होंने कोतवाली थाने में इसकी शिकायत की। पुलिस ने अज्ञात आरोपी के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज कर लिया है। पीडि़त आरोपी की बातों से इतना प्रभावित हो गया था कि उसका नाम और असली पता भी नहीं पूछ पाया था। आरोपी का नाम भी पीडि़त को पता नहीं है।