साथ ही टैक्स और इसे जारी करने नियमों का निर्धारण किया जाएगा। इस नंबर के जारी होने के बाद वाहन मालिक के एक राज्य से दूसरे राज्य जाने पर स्थानीय आरटीओ में नंबर का पंजीयन नहीं करवाना पड़ेगा। वहीं एक बार नंबर मिलने के बाद यह पूरे देशभर में मान्य होगा। इसके लागू होने पर देशभर में विभिन्न राज्यों में स्थानांतरित होने वाले शासकीय, अर्धशासकीय और बड़ी कंपनियों में कार्यरत अधिकारियों और कर्मचारियों को राहत मिलेगी। बता दें कि केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा इसकी गाइड लाइन निर्धारित की गई है। इसके तहत वाहन खरीदने के बाद बीएच सीरीज का नंबर के लिए आवेदन करने पर स्थानीय आरटीओ द्वारा नंबर जारी किया जाएगा।
यह है नियम बीएच सीरीज का नंबर लेने के लिए शासकीय, अर्धशासकीय और बड़ी कंपनी में कार्यरत अधिकारी एवं कर्मचारी का दफ्तर 4 या उससे अधिक राज्यों में होना चाहिए। यह नंबर निजी उपयोग के लिए नया वाहन खरीदने के बाद आवेदन करने पर दिया जाएगा। यह उन लोगों के लिए मददगार होगा जिन्हें देश के विभिन्न हिस्सों में बार-बार शिफ्ट होना पड़ता है। इसमें केंद्र सरकार के कर्मचारी और निजी क्षेत्र में काम करने वाले शामिल हैं। बता दें कि मोटर वाहन अधिनियम की धारा 47 के तहत एक वाहन को दूसरे राज्य में अधिकतम 1 वर्ष तक चलाने की छूट दी गई है।
वाहन की कीमत का 8 से 10 फीसदी टैक्स बीएच सीरीज का नंबर प्लेट लेने वाले को दोपहिया और चारपहिया वाहनों के मालिक को वाहन की कुल कीमत का 8 से 10 फीसदी टैक्स देना पड़ेगा। यह राशि 15 वर्ष के लिए एकमुश्त नहीं देनी पड़ेगी। इसे प्रति दो वर्ष में किस्तों में जमा करना पड़ेगा। इससे उन्हें अतिरिक्त भार नहीं पड़ेगा। साथ ही कुछ फीसदी राशि ही टैक्स के रूप में अदा करने पडे़गा। निर्धारित अवधि के बाद बकाया टैक्स की राशि उसे संबंधित आरटीओ में जमा करना होगा।
राज्य सरकार को बीएच सीरीज के नंबर प्लेट के लिए प्रस्ताव भेजा गया है। इसकी स्वीकृति मिलते ही नियमानुसार आवेदन करने पर बीएच सीरीज वाला नंबर प्लेट जारी किया जाएगा। – एस प्रकाश, सचिव परिवहन विभाग