भारत सरकार की गाइडलाइंस फॉर फेयर एंड मैनेजमेंट ऑफ कैपटिव एलीफेंट जो कि 8 जनवरी 2008 को जारी की गई है। गाइडलाइन के अनुसार किसी भी सामान्य और स्वस्थ हाथी को भी 1 दिन में 30 किलोमीटर से ज्यादा पैदल नहीं चलाया जा सकता परंतु छत्तीसगढ़ वन विभाग ने क्रूरता की सभी हदें पार करते हुए एडवांस स्टेज की प्रिगनेंट गंगा को 1 दिन में 70 किलोमीटर चलवा दिया, वह भी यह जानते हुए की जंगल में बहरादेव के साथ युद्ध की स्थिति निर्मित हा सकती है और ऐसी स्थिति निर्मित होने पर जंगली हाथी ही एक सामान्य हाथी पर हावी हो कर गंभीर रूप से चोटिल कर सकता है. गौरतलब है कि गंगा भी अन्य कुनकी हाथियों की तरह प्रशिक्षित कुनकी नहीं है।
सिंघवी ने आरोप लगाया कि इसके पूर्व भी गंगा पर वन विभाग क्रूरता का शिकार हो रही है। पूरी गर्भावस्था के दौरान गंगा के साथ क्रूरता की गई है। छत्तीसगढ़ वन विभाग कर्नाटक मैसूर दूबेर एलिफेंट कैंप से 5 हाथियों को कुनकी बनाने के लिए २५ जनवरी 2018 में लाया गया था। जनता को बताया गया की प्रशिक्षित कुनकी लाये है। कुनकी का प्रशिक्षिण देने के दौरान और बाद में प्रतिबंधित लोहे के पॉइंटेड अंकुश से प्रताडि़त किया जाता रहा है.
गंगा जब 13 माह की गर्भवती थी तब उसे ट्रक में खड़े खड़े, मार्च 2019 में महासमुंद के सिरपुर से तमोर पिंगला हाथी रेस्क्यू सेंटर भेजा गया। हाथियों के मामले में 13 माह की प्रेगनेंसी एडवांस स्टेज की प्रेगनेंसी मानी जाती है। हथनी का गर्भधारण का समय 22 माह का होता है। इस संबंध में भी छत्तीसगढ़ वन विभाग ने भारत सरकार की उपरोक्त गाइडलाइन का उल्लंघन किया जिसमें स्पष्ट रूप से उल्लेखित है , कि एडवांस स्टेज में प्रेग्नेंट हथिनी को ट्रक द्वारा ट्रांसपोर्ट नहीं किया जावेगा। साथ गणेश हाथी से युद्ध कराने के लिए भी एडवांस स्टेज की प्रेग्नेंट गंगा को जब वह 17-18 माह की गर्भवती थी तब जुलाई 2019 में तमोर पिंगला से कोरबा ट्रक से भेजा और ट्रक से ही वापस लाया गया था।
सिंघवी ने बताया कि गंगा के साथ किया गया कृत्य अमानवीयता के साथ साथ जीव जन्तुओ के प्रति क्रूरता का निवारण अधिनियम 1960 का उलंघन है इसलिए उन्होंने एनिमल वेलफेयर बोर्ड को पत्र लिख कर कार्यवाही की मांग की है. इसी प्रकार पांचो तथाकथित कुनकी हाथियों को तमोर पिंगला स्थित जिस रेस्क्यू सेंटर में रखा गया है वह वन विभाग द्वारो अवैध रूप से केंद्रीय चिडिय़ाघर प्राधिकरण की मान्यता के बिना चलाया जा रहा है, इस लिए उन्हे भी क्रूरता के मद्दे नजर मान्यता न देने हेतु पत्र लिखा गया है।