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मेडिकल कॉलेज के कुछ विभागों में ज्यादा डॉक्टर रायगढ़ पुराना कॉलेज है। वहीं कांकेर व महासमुंद नया कॉलेज है। रायगढ़ को खुले 10 साल से ज्यादा हो गए हैं। वहीं कांकेर को तीन साल व महासमुंद में मेडिकल कॉलेज को चालू हुए दो साल हुए है। इन कॉलेजों में फैकल्टी की कमी तो है। एनएमसी के मापदंड के अनुसार न प्रोफेसर है और न ही एसोसिएट प्रोफेसर। असिस्टेंट प्रोफेसर के साथ सीनियर रेसीडेंट डॉक्टरों की कमी भी बनी हुई है। इन कॉलेजों में फैकल्टी की कमी कैसे दूर होगी, यह सोचने वाली बात है। दरअसल केवल रायपुर मेडिकल कॉलेज के कुछ विभागों में जरूरत से ज्यादा डॉक्टर हैं। ये डॉक्टर 20 से 22 साल से जमे हुए हैं। मान्यता पर खतरा होते देख इन डॉक्टरों को नए कॉलेजों में ट्रांसफर किया जा सकता है।
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8 साल पहले भी डॉक्टरों की कमी को दूर करने के लिए पड़ोसी राज्यों में जाकर वॉक इन इंटरव्यू किया गया था। राजनांदगांव व जगदलपुर मेडिकल कॉलेजों के लिए महाराष्ट्र व ओडिशा जाकर डॉक्टरों की खोज की गई। राजनांदगांव कॉलेज में महाराष्ट्र के काफी डॉक्टर हैं। प्रदेश में संविदा डॉक्टरों को 95 हजार से 2.40 लाख रुपए मासिक वेतन दिया जा रहा है। कांकेर, जगदलपुर व कोरबा कॉलेज अनुसूचित क्षेत्र में है। इसलिए वहां डॉक्टरों का वेतन बढ़ाने का प्रस्ताव शासन के पास भेजा गया है। हालांकि इसे अभी स्वीकृत नहीं मिली है।
डॉ. विष्णु दत्त, डीएमई छग
&फैकल्टी की कमी को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है। नए कॉलेजों में फैकल्टी कम है। ये स्थिति दूसरे राज्यों में भी बनी हुई है।
डॉ. सत्येंद्र फुलझेले, डीन महासमुंद
&एनएमसी के कुछ मेंबरों से बात हुई तो पता चला कि ये नोटिस धोखे से आ गया है। फैकल्टी की कुछ कमी तो है, जिसे दूर किया जा रहा है।
डॉ. पीएम लूका, डीन रायगढ़