इसरो और डीआरडीओ में यूज हो रही इनकी टेक्नोलॉजी
इन इंजीनियर दोस्तों की टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (इसरो) और डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन यानी डीआरडीओ में हो रहा है। रक्षा एवं अंतरिक्ष शोध संस्थनों के वैज्ञानिक इनकी बनाए थ्रीडी प्रिंटर का उपयोग कर रहे हैं। इसी मशीन को विदेशी कंपनियां जहां 25 लाख में देती है वहीं इनकी थ्रीडी प्रिंटर की कीमत 1 लाख रुपए है।सॉलिड मास्क में बदल सकते हैं फिल्टर
विकास ने बताया कि सॉलिड मास्क में रोजाना कपड़ा बदला जा सकता है। इसकी कीमत लगभग 100 रुपए आई है लेकिन जब बड़े स्तर पर बनाया जाएगा तो 60 से 70 रुपए तक लागत पड़ेगी। इसमें आप कोई भी फिल्टर यूज किया जा सकता है। चाहें तो रुमाल भी उपयोग में कर सकते हैं। रुमाल आप रोजाना धो सकते हैं और सॉलिड को सेनेटाइज कर सकते हैं।बेसिक मॉडल से बच सकती है जान
वेंटिलेटर की कीमतें 5 लाख से शुरू होकर 15-20 लाख तक होती हैं। हमने बेसिक वेंटिलेटर बनाया है वह महज 20 हजार में तैयार होगा। अभी हमने प्रोटोटाइप तैयार किया है लेकिन यह टेस्टेड है। चूंकि इलेक्ट्रनिक और रोबोटिक चीजें सही नतीजे देती हैं। इसमें बहुत ज्यादा फैसलिटी तो नहीं है लेकिन ऐन वक्त में किसी की जान जरूर बचाई जा सकती है।फेस को रख सकते हैं सेफ
जो लोग फील्ड पर हैं खासतौर पर पुलिसकर्मी। वे फेसमास्क का यूज कर सकते हैं। पॉलिथीन तो कहीं भी मिल जाएगी लेकिन जो क्लिप बनाया वो थ्रीडी प्रिंटर से बना है। कुछ स्टेट में डॉक्टर भी यूज कर रहे हैं। इसकी कास्ट करीब 20 रुपए पड़ेगी।