4 साल में रेडक्रॉस को लाखों रुपए का नुकसान खून घोटाले के आरोपी कर्मचारियों की मिलीभगत से रेडक्रॉस ब्लड बैंक में पिछले चार साल से एक ही डायग्नोस्टिक द्वारा किट रीएजेंट्स की सप्लाई की जा रही थी। सालभर पहले जब ये मामला सामने आया तो पड़ताल हुई। पता चला कि इसी डायग्नोस्टिक द्वारा दूसरी जगहों पर कम कीमत में किट सप्लाई की जा रही है। (Raipur News Update) तीन अलग-अलग किट में 2 हजार रुपए के हिसाब से 4 साल में रेडक्रॉस को लाखों रुपए का नुकसान पहुंचाया गया। इसके बाद संबंधित डायग्नोस्टिक से किट खरीदी बंद कर दी गई थी। खबर मिली है कि पिछले 2 महीने से एक बार फिर इसी डायग्नोस्टिक से खरीदी हो रही है।
पूरा फोकस खून पर जांच में एफएफपी का जिक्र नहीं रेडक्रॉस ब्लड बैंक में हुए घोटाले की जांच कोरोनाकाल में हुए 800 यूनिट खून घोटाले के इर्द-गिर्द सिमटकर रह गई है। (Raipur News in Hindi) जबकि, घपलेबाजों ने फ्रेश फ्रोजन प्लाज्मा (एफएफपी) को भी औने-पौने दाम पर बेचकर रेडक्रॉस को करोड़ों का नुकसान पहुंचाया है। लेकिन, 3 दिन तक चली पूछताछ और 2 दिन की वीडियोग्राफी में एफएफपी का जिक्र तक नहीं आया है। हाल ही में सामने आए किट घोटाले की जांच में भी अफसरों की दिलचस्पी नजर नहीं आ रही।
किट का नाम रेडक्रॉस को बेचा असली कीमत – एचआईवी किट 2700 1700 – एचसीवी किट 1900 1200 – एचबी एसीजी 1250 900 – जेल कार्ड 6600 3300
सभी पहलुओं पर कर रहे पड़ताल पूछताछ के दौरान किट खरीदी में गड़बड़ी की बात भी सामने आ रही है। हम सभी पहलुओं पर अच्छी तरह पड़ताल कर रहे हैं। (Raipur News) एक हफ्ते के भीतर जांच रिपोर्ट सौंप दी जाएगी।
आईएएस जयंत नाहटा, जांच अधिकारी