2018 में हाईकोर्ट के आदेशानुसार राजधानी की सभी पटाखा दुकानों को शहर से बाहर करना था। इसके लिए जिला प्रशासन द्वारा पटाखा व्यापारियों की दी गई मियाद बार-बार बढ़ाई गई। इसके बाद वर्ष 2015 में मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले के पेटलावद में पटाखा फैक्ट्री में पिछले साल हुए हादसे के बाद जिला प्रशासन ने 160 स्थायी पटाखा का कारोबार करने वालों को दुकानों को शहर के बाहर शिफ्ट करने के लिए कड़ा नोटिस भेजा था। पहले 24 दिसंबर 2015 तक दुकानें शिफ्ट करने की बात कही गई, लेकिन कारोबारियों ने दबाव बनाया तो शिफ्टिंग की मियाद बढ़ाकर 15 मार्च 2016 कर इसके बाद यह बढ़ाकर 30 नवंबर 2017 कर दी गई थी। इसके बावजूद बिना लाइसेंस के ही राजधानी की पटाखा दुकानें संचालित हो रही हैं।
स्टॉक की भी जांच नहीं राजधानी के लाइसेंसधारी स्थायी पटाखा कारोबारियों को 400 किलोग्राम तक पटाखा रखने की अनुमति है। इसे बाद भी बिना लाइसेंस के ही दुकान संचालकों द्वारा इससे ज्यादा स्टॉक जमा रहता है। यदि किसी दुकान में हादसा होने की स्थिति में हजारों लोग चपेट में आ सकते हैं।
हाईकोर्ट ने भी दिया था आदेश कलेक्टर के आदेशानुसार शहर के सभी 160 पटाखा और विस्फोटक की दुकानों को शहर से बाहर करना था। इसके खिलाफ दुकानदारों ने हाईकोर्ट में अपील करके फैसले को रोकने की कोशिश की थी, लेकिन हाईकोर्ट ने भी 11 अप्रैल 2018 को अपना फैसला सुनाते हुए शहर से दुकानों को बाहर करने का निर्देश जारी किया था।
फैक्ट फाइल175 कुल दुकानें
35 लाइसेंस के साथ संचालित हो रही दुकानें
140 बिना लाइसेंस