प्रदेश में अभी सिर्फ लाइव डोनेशन के ही नियम हैं, कैडेवर डोनेशन के नहीं। उधर, डीकेएस सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल और एम्स रायपुर में ऑर्गन ट्रांसप्लांट की सुविधा विकसित की जा रही है। अगर, सुविधा विकसित हो भी जाती हैं तो नियम ही आड़े आएंगे। देश में हर वर्ष 5 लाख से अधिक लोगों की मृत्यु विभिन्न अंगों के फेल होने से हो जाती है। मगर, कैडेवर डोनेशन न मिलने से असमय ही इनकी मृत्यु हो जाती है।
1 कैडेवर डोनेशन से 11 व्यक्तियों को नया जीवन
एक व्यक्ति के कैडेवर डोनेशन से 11 लोगों को नया जीवन मिल सकता है। इनमें 2 किडनी, 2 लंग्स, हार्ट, पैंक्रियास, लिवर, बोनमैरो यहां तक की स्किन तक डोनेट की जा सकती है।
आईएमए ने कहा, सरकार पहल करे: आईएमए की रायपुर इकाई के अध्यक्ष डॉ. विकास अग्रवाल का कहना है कि मरीज के परिजन ब्रेन डेड व्यक्ति के अंगदान करना चाहते हैं, मगर बिडंबना है कि राज्य में अब तक नियम तक नहीं बन पाए हैं। आईएमए ने सरकार से इस पर जल्द पहल करने की मांग की है। साथ ही समाज, धर्म के लोगों को भी सरकार तक बात पहुंचाने की बात कही है।
यह भी पढ़ें: रात में बार-बार टॉयलेट आना इन गंभीर बीमारियों का है संकेत, हल्के में न लें, रखें इन बातों का ध्यान
सोटो के गठन की प्रक्रिया पूरी, अनुमति का इंतजारराष्ट्रीय स्तर पर नेशनल ऑर्गन एंड टिशू ट्रांसप्लांट ऑर्गनाजेशन (नोटो) गठित है। राज्य अंतर्गत स्टेट ऑर्गन एंड टिशू ट्रांसप्लांट ऑर्गनाजेशन (नोटो) का गठन होना है। इस कमेटी द्वारा ही कैडेवर डोनेशन की इजाजत दी जाएगी। राज्य से लेकर जिला तक इसकी कई कमेटियां बनाई गई हैं। जो अलग-अलग स्तर पर सत्यापन के बाद कैडेवर डोनेशन की अनुमति जारी करेंगी।
स्वास्थ्य विभाग कैडेवर डोनेशन एक्ट के नोडल अधिकारी डॉ. श्रीकांत राजिमवाले ने कहा, सोटो के गठन की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। इसका प्रस्ताव राज्य शासन को भेज दिया गया है। प्रमुख सचिव डॉ. आलोक शुक्ला खुद इसे लेकर गंभीर हैं। शासन स्तर पर सोटो का अध्ययन किया जा रहा है। बहुत जल्द इससे संबंधित आदेश जारी हो जाएगा। जैसे ही यह आदेश होता है, कैडेवर डोनेशन की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। विभाग इस संबंध में प्रयासरत है।