महंतश्री राजेपुरीजी महाराज के दांए हाथ के नाखून इन 13 वर्षों में इस कदर बढ़ गए हैं मानों उनकी उंगलियां ही बढ़ गई हो। इस नागा साधु को देखने छत्तीसगढ़वासी तो आ ही रहे हैं विदेशी पर्यटक भी इनकी तपस्या को देखकर आश्चर्यचकित हैं। वे नागा साधु का फोटो खींचकर अपने साथ ले गए। पर्यटकों के साथ आए गाइड ने बताया कि इनका कहना है कि इस तरह की तपस्या उनके देश में नहीं होती। बाबा को देखने के लिए लोमश ऋषि में दर्शनार्थियों की भीड़ लग रही है।
इस नागा बाबा को लोग आश्चर्यजनक होकर देखते रहते और मन में यही बातें उठ रही है कि ये अपनी दिनचर्या के कार्यो को कैसे करते होंगे। दायां हाथ ऊपर किए तपस्वी महंत श्रीराजेपुरीजी महाराज अर्धबाहु तपस्वीजी इनके आश्रम आनंदधाम ग्राम अमला जिला अगरमालवा उज्जैन कोटा मार्ग में स्थित है। उन्होंने बताया कि मैं विश्व कल्याण के लिए अपने दायां हाथ को ईश्वर को समर्पित कर दिया हूं। मैं अपना सभी दैनिककार्य बांया हाथ से ही करता हूं।
कुलेश्वरनाथ महादेव का रुद्राक्ष से हुआ श्रृंगार
पुन्नी मेला में बड़ी संख्या में श्रद्धालु प्रतिदिन पहुंचकर मंदिर दर्शन का लाभ ले रहे हैं। तीन नदियों सोंढूर, पैरी व महानदी के संगम पर स्थित श्रीकुलेश्वर नाथ महादेव का प्रतिदिन श्रृंगार किया जा रहा है, इससे शिवलिंग दमक उठा है। गुरुवार को ज्योतिर्लिंग तथा वेदी पर रुद्राक्ष की माला से श्रृंगार किया गया। इससे महादेव देखते ही भर रही थी। मंदिर में इस कदर भीड़ देखी जा रही है कि ऐसा मौका पहली बार है कि प्रतिदिन सुबह से ही लोग कतारबद्ध होकर दर्शन करते हैं। इस बार प्रदेश सरकार के द्वारा सीढ़ी के पास बैरिकेट्स लगा दिए गए हैं। जिसमें महिला व पुरुष के प्रवेश के लिए अलग-अलग द्वार हैं। इससे श्रद्धालुओं को सहूलियत हुई है। दूसरी ओर लक्ष्मण झूला से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचकर दर्शन लाभ ले रहे हैं।
शास्त्रों के मान्यता के अनुरूप द्वादश ज्योतिर्लिंग, 108 दिव्य शिवलिंग तथा 175 शिवपीठ का वर्णन मिलता है जिनमें से कुलेश्वर नाथ महादेव का निर्माण त्रेता युग में देवी सीता ने बालू से किया था। आज भी शिवलिंग पर रेत के कण देखे जाते हैं। गुरुवार को विजया एकादशी होने के कारण बड़ी संख्या में श्रद्धालु मंदिरों में दर्शन पूजन के लिए सुबह से ही उपस्थित हो रहे थे। घंटियों की झंकार तथा पूजन सामग्री से मंदिर परिसर महक उठा। वर्षभर में 12 महीना होते हैं और 24 एकादशी मनाई जाती है। विजया एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित है। इस दिन विधिवत पूजा करने से पापों से मुक्ति और सभी सुखों की प्राप्ति माना गया है। भगवान राजीवलोचन की प्रतिमा अत्यंत मनोहारी लग रहा था। भजन, कीर्तन व भक्ति भाव से माहौल धर्ममय बना हुआ है।