वर्तमान में हाउसिंग बोर्ड के 640 एमआईजी और 472 एचआईजी के जैसे मकान भी शामिल है। हालांकि बोर्ड के अधिकारी इस बात का दावा कर रहे हैं, जो मकान नहीं बिके हैं, उन्हें बेचने के लिए कार्य योजना तैयार की जा रही है।
CG News: 770 भवनों में करानी होगी मरम्मत
CG News: जानकारी के मुताबिक, हाउसिंग बोर्ड ने प्रदेश के विभिन्न जिलों में 29 हजार से अधिक आवास तैयार किए थे। इनमें से 25 हजार से अधिक आवासों का आवंटन किया गया था। इस हिसाब से 34 हजार से अधिक आवासों की बिक्री नहीं हो सकी। इससे बोर्ड को आर्थिक रूप से नुकसान उठाना पड़ रहा है। जबकि खाली मकानों को बेचने के लिए हाउसिंग बोर्ड ने भवनों के मूल्य में छूट भी दी थी। इसके बाद भी
मकानों का विक्रय नहीं हो सका।
50679 लाख रुपए के आवास खाली
हाउसिंग बोर्ड के कुल 3445
मकान खाली है। इनकी कुल कीमत 50679 लाख रुपए हैं। इस हिसाब से सिर्फ रायपुर जिले में ही 32777 लाख रुपए के आवासों की बिक्री होना बाकी है। खास बात यह है कि पूर्ववर्ती राज्य सरकार के समय अस्तित्व में आए कई जिलों में प्रोजेक्ट शुरू नहीं हुए हैं। गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही जिले में हाउसिंग बोर्ड ने 38 मकान का निर्माण किया था। इसमें से केवल एक मकान की बिक्री नहीं हो सकी है।
शहरी क्षेत्रों में ज्यादा दिक्कत
हाउसिंग बोर्ड के ज्यादातर मकान शहरी क्षेत्रों में खाली है। जानकारों का कहना है कि शहरी क्षेत्रों में प्राइवेट बिल्डर्स भी अपने प्रोजेक्ट लाते हैं। कई बार उनकी लोकेशन हाउसिंग बोर्ड के प्रोजेक्ट की तुलना में ज्यादा अच्छी होती है। इसे भी एक बड़ी वजह के रूप में देखा जा रहा है। रायपुर जिले में हाउसिंग बोर्ड के सबसे अधिक 1867 आवास खाली है। इसमें एचआईजी श्रेणी के 472, एमआईजी श्रेणी के 640, एलआईजी श्रेणी के 299 और ईडब्ल्यूएस श्रेणी के 456 आवास शामिल हैं। इसके अलावा नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में भी हाउसिंग बोर्ड के आवासों की बिक्री नहीं हो सकी है। बस्तर में 19, दंतेवाड़ा में 30 और कांकेर में 25 आवासों की बिक्री होनी बाकी है।
इन 5 जिलों में सबसे ज्यादा मकान खाली जिला मकान रायपुर 1867 दुर्ग 524 बिलासपुर 333 रायगढ़ 178 राजनांदगांव 173