एक बाबू ने छुट्टी की वजह कमर में दर्द, उठने बैठने में तकलीफ बताया है। वहीं एक महिला कर्मचारी ने आवेदन में लिखा कि उसका बेटा यूपीएससी की तैयारी कर रहा है। उसकी देखभाल के लिए उसे चुनाव ड्युटी से पृथक किया जाए। ज्यादातर आवेदनों में छुट्टी की वजह शुगर और बीपी की बीमारी होने बताया गया है। तृतीय श्रेणी की एक महिला कर्मचारी ने खुद और पति की तबीयत खराब होने और बच्चे बाहर नौकरी करने से चुनावी ड्यूटी से मुक्त करने का आवेदन दिया है। किसी ने रीड की हड्डी में परेशानी बताई। चौंकाने वाली बात यह है कि आवेदन करने वाले ये कर्मचारी-अधिकारी कई वर्षों से बिना किसी परेशानी के अपने विभागों में नौकरी कर रहे हैं।
महिलाओं की संख्या ज्यादा जिला उप निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि चुनावी ड्यूटी से मुक्ति चाहने वालों में महिलाओं की संख्या ज्यादा है। पति-पत्नी दोनों के कर्मचारी होने से लोग पत्नी को ड्यूटी से मुक्ति के लिए आवेदन दे रहे हैं। 8 फीसदी आवेदनों में महिलाओं ने गर्भवती होने का हवाला दिया।
मेडिकल बोर्ड रोज करेगा जांच ड्यूटी से मुक्ति के लिए मेडिकल बोर्ड से सर्टिफिकेट अनिवार्य किया गया है। इसके लिए मेडिकल बोर्ड में तीन डॉक्टरों का पैनल बनाया जा रहा है। जिला अस्पताल में आचार-संहिता से पहले तक सप्ताह में दो दिन मेडिकल बोर्ड आवेदकों के सेहत की जांच करता था। अब रोजाना यह जांच होगी।
सॉफ्टवेयर में किया जा रहा है अपलोड अधिकारियों के मुताबिक नियमों के तहत ही नाम हटाए जा रहे हैं, लेकिन उस पर भी सीधे जिला निर्वाचन अधिकारी का अप्रुवल होना जरूरी है। इसके बाद उसे एनआईसी द्वारा उसी साॅफ्टवेयर पर अपलोड किया जा रहा है, जिसमें कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है।
चुनाव ड्युटी लगाने से पहले कर्मचारियों के आवेदन आ रहे हैं। अभी किसी को भी पृथक नहीं किया गया है। आए हुए आवेदन पर विचार किए जा रहे हैं। मेडिकल अनफिट के लिए मेडिकल बोर्ड निर्णय लेगी। – गजेंद्र ठाकुर, उप निर्वाचन अधिकारी, रायपुर