पालकों के साथ निजी स्कूल प्रबंधन भी नाबालिग वाहन चालकों को बढ़ावा दे रहे है। स्कूल प्रबंधन नाबालिग वाहन चालकों पर सख्ती नहीं कर रहे है।
नाबालिगों को वाहन देने का एक कारण यह भी 14 से 15 वर्ष के नाबालिगों को पालक दोपहिया वाहन क्यों दे रहे है? इस बात का भी पत्रिका ने पता लगाने का प्रयास किया। पालकों ने पत्रिका से चर्चा के दौरान कहा, (raipur news today) कि 12 से 14 साल के बच्चे पालकों के साथ जाने में हिचकते हैं। ऑटो या बस में कई बार विवाद होने की आशंका रहती है।
घर में गाड़ी रहने से बच्चे उसे ले जाने की जिद करने लगते है। पालको के पास भी अपना काम होने की वजह से समय नहीं है। (cg news in hindi) इस स्थिति में वो बच्चों को हिदायत देकर गाड़ी ले जाना अलाऊ कर देते है। पालको की व्यस्तता का फायदा बच्चों को मिल जाता है।
नाबालिग वाहन चालक यदि गाड़ी चलाते हुए पकड़ा जाता है, तो पुलिस के प्रतिवेदन पर उनके पालक पर कार्रवाई की जाती है। नियमों का उल्लंघन करने वाले नाबालिगों को ब्लैक लिस्ट करने का प्रावधान है।
– शैलाभ साहू, आरटीओ, रायपुर नियम तोड़ने वाले वाहन चालकों पर रोजाना कार्रवाई जारी है। नाबालिग वाहन चालकों पर सख्ती करने के लिए अभियान चलाकर कार्रवाई करेंगे। आपके माध्यम से पालकों से निवेदन है, कि अपने बच्चों को कम उम्र में दोपहिया वाहन ना दे।
– गुरजीत सिंह, डीएसपी
91.7 फीसदी लोग बोले- नाबालिग को वाहन देना ठीक नहीं पत्रिका सर्वे में शामिल जिले के 91.7 प्रतिशत लोगों ने इस बात को स्वीकार किया कि नाबालिगों को स्कूल जाने के लिए दोपहिया वाहन देना उचित नहीं हैं। यह खतरनाक है। (cg raipur news) इसके बावजूद पालक अपने नाबालिग बच्चों को धड़ल्ले से वाहन चलाने दे रहे हैं। इस दौरान हादसा होने पर पालक और पुलिस कुछ दिन तक सख्ती करती हैं। फिर कुछ दिन बाद सब कुछ भूलकर पुरानी स्थिति हो जाती है। सर्वे में शामिल लोगों का कहना था कि यदि नाबालिग द्वारा वाहन चलाते समय कोई दुर्घटना होती है तो इसके लिए पालक और पुलिस दोनों जिम्मेदार है। सिर्फ 6.3 प्रतिशत लोग मानते है कि नाबालिगों को दोपहिया वाहन देना गलत नहीं है। (chhattisgarh news) इससे वो आत्मनिर्भर बनते है। जिले के 2.1 प्रतिशत लोगों ने पता नहीं ऑप्शन पर क्लिक करके इस मुद्दे पर अपना विचार नहीं रखा है।
इन नियमों के तहत ये कार्रवाई का प्रावधान यदि आपका बच्चा 18 वर्ष से कम आयु का है और बिना किसी लर्नर लाइसेंस के मोटर वाहन चलाते हुए पकड़ा जाता है, तो उस स्थिति में, आपको मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा 199ए के तहत दंडित किया जाएगा। इस धारा के तहत कार्रवाई होने पर अभिभावक को अधिकतम दंड के रूप में तीन साल की कैद और पच्चीस हजार रुपये का जुर्माना देना पड़ सकता है। नाबालिग गाड़ी चलाते हुए पकड़ा गया, तो नियमों के तहत पुलिस गाड़ी का रजिस्ट्रेशन रद्द करवा सकती है। अगर कोई नाबालिग वाहन चलाते हुए पकड़ा जाता है, तो उस बच्चे का लाइसेंस 25 साल की आयु से पहले नहीं बनेगा। इसके अलावा जुर्माना अलग से लग सकता है।