नया नियम लागू
प्रदेश में 10 सरकारी मेडिकल कॉलेज हैं। इनमें 4 दो-तीन साल पुराने हैं। 6 कॉलेजों में हर साल फाइनल ईयर भाग-दो के छात्र पास होकर निकलते हैं। साढ़े 4 साल एमबीबीएस की पढ़ाई के बाद एक साल की इंटर्नशिप अनिवार्य है। इंटर्नशिप वही छात्र कर सकता है, जो एमबीबीएस फाइनल ईयर भाग दो में पास होते हैं। पहले दूसरे कॉलेज से एमबीबीएस के बाद रायपुर या दूसरे कॉलेजों में इंटर्नशिप के लिए आवेदन करते थे। इससे विवाद की स्थिति बन जाती थी। कुछ निजी कॉलेज के छात्र भी सरकारी कॉलेजों में इंटर्न करने की फिराक में रहते थे। लगातार विवाद के बाद हैल्थ साइंस विवि ने यह नियम लागू कर दिया है। कॉलेज में
एमबीबीएस की जितनी सीटें होती हैं, उतनी ही सीटों पर इंटर्नशिप कराने की अनुमति होती है। यह नहीं इंटर्नशिप पूरी करने के बाद दो साल की बॉन्ड सेवा अनिवार्य है। इसके तहत संविदा में मेडिकल अफसर या जूनियर रेसीडेंट पद पर पोस्टिंग दी जाती है। दो साल तक मानदेय भी दिया जा रहा है। बांड सेवा में नहीं जाने पर 20 से 25 लाख रुपए की पेनाल्टी है।
MBBS: नेहरू मेडिकल कॉलेज में 230 सीटें
मेडिकल कॉलेजों में जितनी एमबीबीएस की सीटें होंगी, उतनी ही सीटों पर इंटर्नशिप करने की अनुमति दी जाएगी। उदाहरण के लिए नेहरू मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की 230 सीटें हैं। नियमानुसार यहां इतने ही छात्र इंटर्नशिप कर सकते हैं। चूंकि रिजल्ट शत-प्रतिशत नहीं आता इसलिए विदेश से एमबीबीएस करने वालों को भी इंटर्नशिप करने की अनुमति मिल रही है। यही नहीं, दूसरे राज्यों से निजी कॉलेज से पास होने वालों को भी इंटर्नशिप की अनुमति दी जाती है। ऐसे छात्रों को कॉलेज व विवि में जरूरी शुल्क जमा करना होता है। इंटर्न छात्रों को हर माह 15 हजार रुपए से ज्यादा स्टायपेंड दिया जा रहा है। यह एक साल तक दिया जाता है।