पिछले साल से 600 छात्रों ने कम पंजीयन कराया है। इसकी प्रमुख वजह बैंक द्वारा
छात्रों की सुरक्षा निधि वापस नहीं करना है। पिछली काउंसलिंग शुरू हुए 13 माह से ज्यादा गुजर गए हैं। इसके बाद भी बैंक 400 से ज्यादा छात्रों की 2 करोड़ रुपए से ज्यादा पैसे वापस नहीं कर पाया है। इसमें 50 से ज्यादा छात्रों के एक-एक लाख भी शामिल है। वे बैंक का चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन उनकी सुरक्षा निधि की राशि वापस नहीं मिल रही है।
नए सत्र के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन शनिवार को खत्म हो गया, लेकिन छात्रों को पिछले साल की सुरक्षा निधि नहीं मिलने से बैंक की कार्यप्रणाली पर कई सवाल उठ रहे हैं। पत्रिका की पड़ताल में पता चला है कि एक्सिस बैंक ने डीएमई को बताया है कि काउंसलिंग कराने वाली एजेंसी एनआईसी ने 6 माह में छात्रों के डेटा नहीं दिए।
MBBS Seats: ऐसे में आरबीआई की गाइडलाइन के अनुसार ये डेटा स्वत: डिलीट हो गए। ऐसे में उन्हें छात्रों की सुरक्षा निधि वापस करने में दिक्कत हो रही है। हालांकि
बैंक की यह बात आधा ही सच है। पत्रिका की पड़ताल में पता चला है कि बैंक के अधिकारी डीएमई के पास कई बहाने बनाते रहे। इसमें ऑडिट आपत्ति की बात भी है।
बैंक विशेषज्ञों के अनुसार छात्रों के पैसे वापस करने में ऑडिट की दिक्कत तो होनी ही नहीं चाहिए। पिछले साल काउंसलिंग में शामिल हुए 5184 छात्रों के 21 करोड़ 86 लाख 75 हजार रुपए निजी बैंक द्वारा छात्रों को लौटाने थे। जून तक आधे ही छात्रों के पैसे वापस किए गए थे। छात्रों के 5, 10 हजार व एक लाख रुपए जमा है। डीएमई ने बैंक मैनेजर को तलब कर फीस वापसी में देरी का कारण भी पूछा। मैनेजर ने फीस में देरी का ठीकरा एनआईसी पर फोड़ दिया था। सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर डीएमई कार्यालय प्राइवेट बैंक में खाते का संचालन क्यों कर रहा है? सरकारी बैंक में खाता क्यों नहीं खोला गया?
जनवरी में भेज दिया था बैंक डिटेल, फिर देरी कैसे?
डीएमई कार्यालय ने भी इस साल जनवरी में सभी छात्रों के डिटेल बैंक को भेज दिया था। बैंक का दावा है कि एनआईसी ने 6 माह में डेटा नहीं दिए। इस पर भी सवाल उठ रहे हैं। यही नहीं बैंक के अधिकारी ऑडिट ऑप्शन, बैंक खातों की अधूरी जानकारी या कुछ पेमेंट क्रेडिट कार्ड से होने का हवाला देकर फीस लौटाने में देरी करता रहा। छात्रों की परेशानी को देखते हुए डीएमई ने 26 जून को एक गूगल लिंक जारी किया था, जिसमें फीस वापस नहीं मिलने वाले छात्रों को पूरा डिटेल देने को कहा गया था। इसके बाद कई छात्राें ने निजी बैंक की शिकायत करते अपना पूरा डिटेल दिया। फिर भी वे पैसे के लिए चक्कर लगा रहे हैं। पिछले साल काउंसिलिंग में शामिल हुए 5184 छात्रों को मेडिकल व डेंटल कॉलेजों में कोई सीट नहीं मिली। नियमानुसार इसे लौटाने का नियम है।
MBBS Seats: आज आएगी मेरिट सूची, 30 काे अलॉटमेंट लिस्ट
पहले राउंड में मेडिकल व डेंटल कॉलेजों में प्रवेश के लिए 27 अगस्त को मेरिट सूची आएगी। एमबीबीएस की 2130 व बीडीएस की 600 सीटें हैं। 30 अगस्त को आवंटन सूची जारी होगी। छात्रों को फिर आवंटित कॉलेजों में 31 अगस्त से 5 सितंबर तक प्रवेश लेना होगा।
प्रदेश में 10 सरकारी व 5 निजी मेडिकल कॉलेज है। जबकि एक सरकारी समेत 6 डेंटल कॉलेजों का संचालन हो रहा है। दूसरे राउंड की च्वाॅइस फिलिंग 9 से 18 सितंबर तक चलेगी। इस साल 31 अक्टूबर तक प्रवेश दिया जाना है।
डेटा देरी से मिलने का हवाला
बैंक को बार-बार छात्रों की सुरक्षा निधि वापस करने का आदेश दिया गया है, लेकिन डेटा देरी से मिलने का हवाला दिया गया। जिन छात्रों के पैसे लौटाने बाकी है, उसके संबंध में बैंक ने प्रोसेस चलने की बात कही है। ये वाकई गंभीर मामला है कि पिछले साल की राशि छात्रों को अब तक वापस नहीं मिली है। MBBS Seats: इससे सम्बन्धित खबरें यहां पढ़े
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