दूसरी ओर फायरिंग करने वाले शूटरों का दूसरे दिन भी कुछ पता नहीं चल पाया है। बताया जाता है कि शूटरों ने राजधानी के होटल में ठहर कर फायरिंग की प्लानिंग की थी। इससे पुलिस के मुखबिर तंत्र के फेल होने का भी पता चलता है। शूटरों की तलाश में पुलिस दूसरे दिन भी लगी रही, लेकिन कुछ पता नहीं चल पाया है।
डायरेक्टर थे निशाने पर
कंस्ट्रक्शन और कोयला कारोबार से जुड़ी पीआरए इंडिया कंपनी का ऑफिस रिंग रोड-1 के सर्विस लेन के किनारे िस्थत है। सुबह करीब 10.30 बजे कंपनी के डायरेक्टर राजेश अग्रवाल के बेटे आशीष अग्रवाल ऑफिस पहुंचे। उनकी कार सीजी04 एनजेड 8875 को ड्राइवर गोविंद क्षत्रिय ने पार्किंग में खड़ी किया। कुछ देर में सिक्युरिटी गार्ड राजेंद्र वर्मा और गोविंद ने पेट्रोल भरवाने के लिए कार को स्टार्ट किया। उसी समय बाइक जेएच01 डीएल 4692 सवार नकाबपोश दो शूटर पहुंचे। सामने से फायरिंग कर दी। गोली बोनेट में लगी और कार के शीशे से टकरा गई। लगातार दो और गोलियां चलाई, लेकिन किसी को नहीं लगी। बताया जाता है कि शूटर डायरेक्टर को टारगेट करके पहुंचे थे। जवाबी फायरिंग होने पर शूटर भाग निकले थे।
अमन के या मयंक के शूटर?
गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई के लिए झारखंड के गैंगस्टर अमन साव उर्फ अमन साहू काम करता है और अमन के लिए मयंक सिंह। शनिवार को जिन शूटरों ने फायरिंग की है, उसे अमन का शूटर माना जा रहा था। इसके बाद रविवार को मलेशिया से मयंक सिंह ने सोशल मीडिया में पोस्ट करके फायरिंग कराने की जिम्मेदारी ली। उसने पोस्ट में अमन साहू के भरोसे ज्यादा दिन तक नहीं रहने का भी उल्लेख किया है। साथ ही कारोबारी को फिर हमले की चेतावनी दी है। इससे शूटर किसके हैं? यह स्पष्ट नहीं हो पाया है। दूसरी ओर पुलिस के लिए नई चुनौती खड़ी हो गई है।
यह लिखा है पोस्ट में
मैं मयंक सिंह बोल रहा हूं, अमन साहू गिरोह से मेरा पूर्व में रिश्ता बहुत अच्छा रहा था ये बात सत्य है, पर मैं अमन साहू एवं गिरोह के भरोसे बैठे रहने वाला में से नहीं हैं। बार्बरिक प्रोजेक्ट लिमिटेड…ये जो आज का घटना हुआ है, उसका जिम्मेवारी मैं मयंक सिंह लेता हूं…आज के बाद झारखंड में काम करने वाले सभी रेलवे, रोड, सिविल कंस्ट्रक्शन, कोयला कारोबारी, रैक लोडिंग व्यापारी… आदि बातें लिखीं हैं। पोस्ट में कारोबारियों को धमकी दी गई है।
टारगेट क्या था? जानने किया एक्शन रीक्रिएट
घटना स्थल पर रविवार को फॉरेंसिक एक्सपर्ट की टीम और पुलिस ने सीन रीक्रिएट किया। इस दौरान फायरिंग की पूरी घटना को रीक्रिएट किया गया। कार को खड़ी करने के बाद बाइक सवार पुलिस वाले शूटर बनकर पहुंचे। लेजर चलाकर शूटरों के टारगेट का पता लगाया गया। उल्लेखनीय है कि जिस कार में फायरिंग की गई है, उसमें कारोबारी राजेश अग्रवाल का बेटा ऑफिस पहुंचा था। उनके ऑफिस के भीतर जाते ही फायरिंग की गई थी।
गिरोह की बेखौफ ब्रांडिंग
गैंग राजधानी के दो बड़े कंस्ट्रक्शन और कोयला कारोबारियों को लगातार धमकी दे रहे हैं। साथ ही अपने गैंग की बेखौफ ब्रांडिंग भी कर रहे हैं, ताकि दूसरे कारोबारियों में भय का माहौल बने। इसके लिए घटना के संबंध में सोशल मीडिया में पोस्ट कर रहे हैं। रायपुर के मीडिया हाउस से जुड़े लोगों को ईमेल और इंटरनेशनल नंबरों से कॉल करने लगे हैं। पहली बार गैंग के शूटरों के पकड़े जाने पर 29 मई को एक इलेक्ट्रानिक मीडिया के प्रबंधन से जुड़े व्यक्ति को ईमेल किया गया था। इसमें दोनों कारोबारी फर्म का जिक्र करते हुए उन्हें धमकी दी गई थी। 13 जुलाई को फायरिंग करने के बाद एक अखबार में प्लस 1(910)931-8404 से कॉल किया गया। इन नंबरों, सोशल मीडिया पोस्ट और ईमेल नंबरों को अभी तक ट्रेस नहीं किया जा सका है।