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रायपुर

आखिर क्यों यहां स्वामी विवेकानंद का नाम लेना मना है! ये है बड़ी वजह

छत्तीसगढ़ के रायपुर के डे भवन में स्वामी विवेकानंद दो साल रहे थे, लेकिन यहां विवेकानंद का नाम तक कोई नहीं लेता, क्योंकि इसकी मनाही है।

रायपुरJan 12, 2018 / 05:41 pm

Ashish Gupta

Swami Vivekananda birth anniversary

रायपुर . दुनिया जानती है कि रायपुर के डे भवन में स्वामी विवेकानंद दो साल (1877-79) रहे थे, लेकिन यहां के लोग इस बात को सिरे से नकार देते हैं। डे भवन में कोई विवेकानंद का नाम तक नहीं लेता, क्योंकि इसकी मनाही है। यही वजह है कि यहां विवेकानंद स्मारक का निर्माण की बात दूर की कौड़ी है। शहर के महत्वपूर्ण स्थान बूढ़ापारा में स्थित डे भवन और उसकी जमीन की कीमत करोड़ों में है।

डे भवन के अंतिम मालिक निखिल रंजन बोस वहां विवेकानंद स्मारक खुलने की चर्चा से भी डरते थे और अक्सर अपने मिलने वालों से बोलते थे कि सरकार ने अगर भवन का अधिग्रहण कर लिया, तो बुढ़ापे में मैं कहां जाऊंगा। इसके बाद ही डे भवन से विवेकानंद के नाम तक को दूर कर दिया गया। यही वजह है कि अगर आप इस परिसर के पास स्वामी विवेकानंद का नाम ले लें, तो गेट भी नहीं खुलता। लाख कोशिशों के बाद भी ट्रस्ट के किसी सदस्य का संपर्क नंबर तक नहीं दिया जाता।
Swami Vivekananda jayanti 2018

बूढ़ातालाब का नाम इसलिए विवेकानंद सरोवर
डे भवन से करीबन आधा किमी दूर बूढ़ातालाब है, जहां विवेकानंद स्नान करते थे। इसलिए इस सरोवर का नामकरण विवेकानंद के नाम पर किया गया। सरोवर के बीच स्थित बगीचे में विवेकानंद की विशाल प्रतिमा भी स्थापित की गई है। लेकिन, डे भवन में विवेकानंद से जुड़े किसी स्मृतिचिह्न का अब भी इंतजार है।

डे परिवार और ट्रस्ट
रायबहादुर भूतनाथ डे चेरिटेबल ट्रस्ट वर्ष 1994 से डे भवन में हरिनाथ अकादमी नाम से स्कूल चला रहा है। यह भवन रायबहादुर भूतनाथ का ही था और उनके समय ही विवेकानंद का परिवार यहां रहता था। यह दो मंजिला खपरैल वाला भवन है। भूतनाथजी के बेटे हरिनाथ थे और हरिनाथजी की बेटी आभा व दामाद निखिल रंजन बोस इस भवन के अंतिम मालिक थे। बोस ने संपत्ति की देखरेख के लिए ट्रस्ट बनवा दिया। दो वर्ष पहले ही उनका निधन हुआ है।

Swami Vivekananda jayanti 2018

पहले लगी थी सूचना पट्टिका
जानकार बताते हैं कि डे भवन में पहले यह पट्टिका लगी थी कि विवेकानंद का परिवार यहां कब से कब तक रहा था, लेकिन अब वह पट्टिका हटाई जा चुकी है। इस भवन में विवेकानंद का एक फोटो तक नहीं लगा है। हालांकि अब भी भवन में रायबहादुर भूतनाथ डे व विवेकानंद के पिता विश्वनाथ दत्त की प्रतिमा स्थापित है।

सीएम डॉ. रमन सिंह भी आ चुके हैं यहां
रायपुर के डे भवन में मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह भी आए थे। यहां स्मारक बनाने की चर्चा चली थी, लेकिन जमीनी स्तर पर सरकार ने कुछ भी नहीं किया है। ट्रस्ट से जुड़े लोग मुख्यमंत्री की उस यात्रा और उसके मकसद को याद करना नहीं चाहते। विवेकानंद का नाम सुनकर या पढ़कर यहां आने वालों को केवल निराशा हाथ लगती है।

संस्कृति व पुरातत्व मंत्री दयालदास बघेल ने कहा कि अभी विवेकानंद प्रबुद्ध संस्थान की स्थापना की जा रही है। उनकी स्मृति से जुड़े स्थानों को संग्रहालय के रूप में विकसित करने के लिए जल्द ही शासन स्तर पर चर्चा कर प्रयास किया जाएगा।

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