जिला प्रशासन में अल्प बचत योजना अधिकारी होता है, जिसकी टीम का काम जिले में संचालित बचत योजनाओं और बचत स्कीम चलाने वाली संस्थाओं के बारे में जानकारी रखना होता है। इसके अलावा विभिन्न आर्थिक गतिविधियों पर भी नजर रखनी होती है। कर्ज, ब्याज या बचत योजना संचालित करने वाले संस्थान, व्यक्ति या अन्य के बारे में जानकारी रखना होता है।
नगर निगम से गुमास्ता लाइसेंस लेते समय संबंधित व्यक्ति या संस्थान को अपने कार्य का उल्लेख करना पड़ता है। गुमास्ता लाइसेंस देने के बाद उसमें उल्लेखित कार्य वास्तव में हो रहे हैं या नहीं? इसकी जांच कोई नहीं करता है। इसके चलते कई लोग व्यापारिक संस्थान शुरू करने के लिए गुमास्ता लाइसेंस किसी भी कार्य के नाम से ले लेते हैं, लेकिन वास्ताव में दूसरा कार्य करते रहते हैं। कई चिटफंड (chitfund company) कंपनियां भी संस्थान स्थापित करने के लिए (gumasta) गुमास्ता लाइसें लेती है।
चिटफंड कंपनियों (India’s fraud company) की शिकायत लगातार पुलिस और जिला प्रशासन तक आती रहती है, लेकिन इन शिकायतों पर तत्काल एक्शन नहीं लिया जाता है। जांच के नाम पर सालों लटकाया जाता है। इस कारण भी कंपनियां चलती रहती है। अगर जिला प्रशासन तक शिकायत आती है, तो कंपनी के दलाल मामला सुलझाने के लिए अफसरों से मिलते हैं।
जिला प्रशासन की जिम्मेदारी है कि कोई वित्तिय संस्थान शहर में संचालित हो रहा है, तो वह सेबी, आरबीआई (RBI) या आरओसी एक्ट के मापदंडों के अनुरूप चल रहा है या नहीं? मापदंडों का पालन नहीं होने पर संबंधित कंपनी को संचालित होने से जिला प्रशासन रोक लगाा सकती है, लेकिन कई मामलों में आम लोगों की शिकायत मिलने के बाद बावजूद क्लीनचिट दे दिया जाता है।
सांई प्रसाद और सनसाइन चिटफंड कंपनियों के मामले में भी यही हुआ है। प्रशासनिक अधिकारियों और उनके मातहतों ने चिटफंड कंपनियों (Chitfund company) से जुड़ी गतिविधियों को रोकने कदम नहीं उठाया और प्रत्याक्ष या अप्रत्याक्ष रूप से उन्हें फायदा पहुंचाया।
अजयशंकर त्रिपाठी, टीआई, राजेंद्र नगर, रायपुर India’s Fraud Company