बिजली कंपनी ठेके पद्धति के जरिए घरों-घर मीटर की रीडिंग करवाती है। एक घर की रीडिंग के एवज में ठेकेदार को बिजली कंपनी कंपनी पांच रुपए का भुगतान करती है। जिसमें ३.७५ रुपए रीडिंगकर्ता, 1.25 रुपए ठेकेदार का हिस्सा होता है। इस व्यवस्था से कंपनी को महीने में 2.50 करोड़ रुपए खर्च उठाना पड़ता है।
बिजली बिल अदा न करने वाले उपभोक्ताओं की संख्या लगातार बढ़ रही है। स्मार्ट मीटर लगने से उपभोक्ता समय पर बिल अदा करने के लिए बाध्य होंगे।
बिजली शिकायत केंद्रों में हजारों शिकायतें हर महीने दर्ज होती हैं कि रीडिंगकर्ता ने गलत रीडिंग दशाई, जिससे बिजली बिल ज्यादा आया। नए सिस्टम से यह झंझट खत्म हो जाएगी।
अभी भी शतप्रतिशत उपभोक्ताओं मीटर घरों के अंदर ही लगे हैं। घर में ताला लगे होने की स्थिति में रीडिंग नहीं होती, औसत बिल आ जाता है।