डॉ. पद्म जैन के मुताबिक, पालतू जानवरों की देखभाल पर हम में से कई लोग हर महीने हजारों रुपए खर्च कर देते हैं, लेकिन जब बात सड़कों पर घूम रहे वाले आवारा पशुओं की होती है तो ज्यादातर की नाक-भौं सिकुड़ जाती है। न कोई इन्हें छूना चाहता है और न उनकी तरफ देखना। सड़क पर यदि कोई डॉग घायल पड़ा मिलता है तो उसे अस्पताल लाकर इलाज करते हैं, पोषण भरा खाना देते हैं और स्टेरिलाइजेशन कर उन्हें दोबारा उनके रास्ते छोड़ देते हैं।
उन्होंने बताया कि लॉकडाउन में लोगों के साथ बेजुबानों की भी शामत आ गई थी, इसलिए वह अपने वाहन में डॉग्स फूड और जानवरों के लिए चारा रखकर चलते थे। पूरे लॉकडाउन के दौरान उनका एक वाहन बेजुबानों को भोजन मुहैया कराने में लगा हुआ था। लॉकडाउन में उन्होंने 250 मीटर कपड़े का मास्क बनवाकर आंबेडकर अस्पताल, एम्स और पुलिस विभाग को भी दिया।
पशुओं की सेवा करने बने वेटनरी डॉक्टर डॉ. पद्म जैन ने बताया कि पढ़ाई के दौरान सड़कों पर बेजुबान जानवरों को पड़ा हुआ देखकर उनका मन काफी व्यथित हो जाता था। बेजुबान जानवरों की सेवा के लिए ही वेटनरी में अपना कॅरियर बनाया। शुरूआत में वह शिविर लगाकर 12 जानवरों का इलाज करते थे लेकिन यह संख्या बढ़ती चली गई। डॉक्टर की पढ़ाई पूरी करने के के बाद उन्होंने नि:शुल्क इलाज के लिए अस्पताल खोल लिया। सरकारी अस्पताल में तो वह इलाज करते ही हैं, घर पर भी वह बेजुबानों की सेवा करते हैं।
10 हजार पौधरोपण के बाद गिनना छोड़ा डॉ. पद्म जैन को पशुओं के साथ-साथ पौधों से काफी प्रेम है। वह हर साल एक हजार से ज्यादा पौधरोपण करते हैं। उन्होंने बताया कि 10 हजार पौधरोपण के बाद उन्होंने गिनना छोड़ दिया। जिन-जिन स्कूलों और कॉलेजों में पढ़ाई की है, वहां-वहां पौधरोपण किया है। यहां तक कि वह जिन-जिन शासकीय अस्पतालों में रह चुके हैं, वहां पर भी पौधरोपण किया है। उन्होंने बताया कि माना बाल संप्रेक्षण गृह, बैरन बाजार, भाटागांव, पंडरी वेटनरी अस्पताल, शीतला तालाब, कबीरनगर, सड्डू, वृंदावनी कॉलोनी समेत राजधानी के सभी कोनों में पौधरोपण किया है। हर साल एक हजार से ज्यादा पौधरोपण करने का उनका लक्ष्य रहता है।