कोरोना वायरस का असर: आबकारी मंत्री ने कहा- जान है तो जहान है, इस बार नहीं मनाएंगे होली
जिस प्रकार दीपावली में दीपों की उष्णता व तैल की गंध से चातुर्मास्य के संचित कीटाणुओं का नाश होता है, उसी प्रकार शीतकाल में संचित कीटाणुओं का नाश होलिका जलने से उत्पन्न गहरे अग्निताप व अबीर-गुलाल आदि की गंध से होता है। गाना, हॅसना और तेज आवज में बोलने से गले का व्यायाम होता है एंव गुलाल-अबीर आदि का गले में जाना फेफड़ों व गलें में अवरूद्ध कफ की निवृत्ति में उपयोगी है। अतः होलिकोत्सव की विधि स्वास्थ्य रक्षा के नियमानुकूल है।
होली के राख का विशेष महत्व
आर्थिक परेशानियों को दूर करने के लिए होलिका की राख को लाकर पूरे घर में छिड़क दें। इससे घर से नकारकत्मक शक्तियों का प्रभाव दूर होता है ऐसी मान्यता है। घर में वास्तु दोष होने पर भी यह लाभप्रद माना गया है। इससे गृह कलह और आर्थिक बाधाएं दूर होती हैं।
होलिका की राख को एक पोटली बनाकर तिजोरी में रखें इससे संचित धन बढ़ता है। टोने टोटके का भय होने पर इस राख से तिलक भी कर सकते हैं। इससे आत्मबल मिलता है।
कोई व्यक्ति अभिचार कर्म के कारण अर्थात मारण, विद्वेषण, उच्चाटन, सम्मोहन व वशीकरण से अक्रान्त हो तो वह व्यक्ति उपरोक्त विधि से होलिका की राख शरीर में लगाकर गर्म जल से स्नान कराने से नकारात्मक प्रभाव निर्मूल हो जाता है।
आपका लिया हुआ धन अगर कोई वापिस नहीं कर रहा है, तो आप होली जलने वाले स्थान पर अनार की लकड़ी से उसका नाम लिखकर होलिका माता से अपने धन वापसी का निवेदन करते हुये उसके नाम पर हरा गुलाल छिड़क दें। इस उपाय से आपका धन मिल जायेगा।
यदि आप किसी से शत्रुता समाप्त करना चाहते है तो होलिका दहन के अगले दिन उसी स्थान पर रात्रि 12 बजे जाकर होली जलने स्थान पर अनार की लकड़ी से उसका नाम लिख दें और फिर उसे बॉये हाथ से मिटा दें और उस स्थान की थोड़ी सी राख लाकर। अगले दिन उस व्यक्ति के सिर पर डाल दें। ऐसा करने से वह व्यक्ति आपके प्रति शत्रुता का भाव समाप्त कर देगा।
होलिका दहन के लिए शुभ मुहूर्त
फाल्गुन शुक्लपक्ष की पूर्णिमा तिथि पर सोमवार को होलिका दहन है। इस दिन पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र होने से ध्वज योग बन रहा है। जो यश प्रदान करने वाला माना जाता है। एेसा संयोग कई वर्षों बाद बना है, जब होलिका दहन में भद्रा का कोई रोड़ा नहीं रहेगा। दोपहर 1.10 बजे भद्रा समाप्त हो जाएगी। शुभ मुहूर्त गोधूलि बेला से रात 11.17 बजे है। इस बीच किसी भी समय होलिका का पूजन कर दहन किया जा सकता है।
पं. मनोज शुक्ला, महामाया मंदिर, रायपुर