scriptछत्तीसगढ़ केवल आराम फरमाने आए हैं ये चार कुमकी, इनकी खातिरदारी में खर्च हो रहे करोड़ों | Government spent crore on Kumki elephant in Chhattisgarh | Patrika News
रायपुर

छत्तीसगढ़ केवल आराम फरमाने आए हैं ये चार कुमकी, इनकी खातिरदारी में खर्च हो रहे करोड़ों

सरगुजा से लेकर महासमुंद तक हाथियों के आतंक को रोकने के लिए कर्नाटक से सालभर पहले लाए गए पांच कुमकी हाथियों पर करोड़ों रुपए खर्च हो गए

रायपुरJan 25, 2019 / 01:12 pm

Deepak Sahu

Elephant

सालभर पहले आज ही के दिन आए कुमकी हाथियों पर करोड़ों खर्च, नतीजा शुन्य

दिनेश यदु@रायपुर. सरगुजा से लेकर महासमुंद तक हाथियों के आतंक को रोकने के लिए कर्नाटक से सालभर पहले लाए गए पांच कुमकी हाथियों पर करोड़ों रुपए खर्च हो गए। इसके बावजूद हाथियों का उत्पात बढ़ते ही जा रहा है। इससे कुमकी हाथियों को लाने, उन पर भारी भरकम सरकारी राशि खर्च करने पर सवाल उठने लगे हैं। ये हाथी एक साल पहले आज ही के दिन छत्तीसगढ़ पहुंचे थे।
इन हाथियों के नाम हैं योगलक्ष्मी, गंगा, युधिष्ठिर, परशुराम और तीरथराम। इन्हें 25 जनवरी 2018 को कर्नाटक के दुबेर एलीफेंट कैंप से महासमुंद वनमंडल के बोरिद कैंप में लाया गया था। इन कुमकी हाथियों को लाने का उद्देश्य उत्पाती हाथियों को कॉलर आइडी पहनाना और गांवों में आने पर उन्हें खदेडऩा है। इसके लिए सालभर से इन कुमकी हाथियों को प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है, लेकिन नतीजा सिफर नजर आ रहा है।
तीमारदारी पर दो करोड़ से अधिक खर्च : बोरिद कैम्प में एक साल से कुमकी हाथियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। वन अधिकारी के अलावा छह महावत सहित एक दर्जन कर्मचारी इनकी तीमारदारी में लगे हैं। सूत्रों के मुताबिक कर्नाटक से इन कुमकी हाथियंों को लाने में ही करीब 24 लाख रुपए खर्च हुए थे।
इसके अलावा बोरिद प्रशिक्षण कैम्प में बाड़ा बनाने और खुराक पर अब तक करीब दो करोड़ रुपए से अधिक खर्च हो चुके हैं। दूसरी ओर गांवों में उत्पाती हाथियों का कहर जारी है। वे लोगों को पटक-पटककर मारने के अलावा घरों में रखा अनाज चट कर रहे हैं। खेत में खड़ी फसलों को भी तहस-नहस कर रहे हैं।
Elephant

कुमकी वाले क्षेत्र में ही अधिक नुकसान
कुमकी हाथियों को लाने के बाद महासमुंद वनपरिक्षेत्र में सालभर में ही हाथियों के दल ने पांच लोगों को शिकार बनाया है। हाल ही में बोरिद बोरिद कैंप से कुछ दूरी पर रिवाडीह की सुनीता यादव को हाथी ने कुचल दिया था। वन विभाग
के एक चौकीदार को भी हाथियों ने मार डाला था।

इससे अच्छा हर गांव में चौकीदार नियुक्त कर देते
महासमुंद के लहंगर निवासी हाथी भगाओ समिति के राधेलाल सिन्हा से बताया कि महासमुंद वन परिक्षेत्र में हाथी प्रभावित 42 गांव है। गांव के लोग हाथियों की चिंघाड़ से शाम होते ही घरों में कैद हो जाते हैं। लंहगर में अधिकतर नाले के किनारे जंगली हाथियों का दल विचरण करता है। उनका मानना है कि कुमकी हाथियो पर खर्च करने से अच्छा जंगली हाथी को रोकने के लिए गांव के लोगों को चौकीदार नियुक्त कर देते।

महासमुंद के डीएफओ आलोक तिवारी ने बताया कि कुमकी को प्रशिक्षण होने में चार से पांच साल भी लग सकता है। सरगुजा में कुमकी को ले जाने के लिए उच्च अधिकारी निर्णय लेंगे।

Hindi News / Raipur / छत्तीसगढ़ केवल आराम फरमाने आए हैं ये चार कुमकी, इनकी खातिरदारी में खर्च हो रहे करोड़ों

ट्रेंडिंग वीडियो