गौरतलब है कि बाज़ार में नकली खाद्य पदार्थों की भरमार है। ऐसे में सिर्फ देखकर असली-नकली की पहचान करना मुश्किल है। अब गूगल स्कैनर और स्मार्ट कस्टमर ऐप के माध्यम से ग्राहकों तक प्रॉडक्ट की सही जानकारी मिलेगी, जिससे प्रोडक्ट के असली-नकली होने की पहचान की जा सकती है।
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री-डेवलपमेंट प्लान : सरकारी क्वार्टरों को खाली कराने दे रहे नोटिस, स्टेशन के सामने तीन एकड़ जगह खाली कराएगा रेलवे लेबल पर ये जानकारी जरूरी खाद्य उत्पादों के लेबल पर शामिल की जाने वाली जानकारी देने के लिए कहा गया है। जिसमें उत्पाद का नाम, एक्सपायरी डेट, पोषण तथ्य, शाकाहारी, मांसाहारी लोगों, घटक सूचियां, एलर्जेन चेतावनियां और अन्य उत्पाद विशिष्टता लेबलिंग के बारे में जानकारी देना होगा। इसके अलावा क्यूआर कोड में उत्पाद के बारे में व्यापक विवरण, जिसमें सामग्री, पोषण संबंधी जानकारी, एलर्जी, शामिल हैं। इसके अलावा विनिर्माण तिथि, सर्वोत्तम पूर्व, समाप्ति, उपयोग तिथि तक, एलर्जेन चेतावनी, और ग्राहक के लिए संपर्क जानकारी पूछताछ। खाद्य सुरक्षा और मानक (लेबलिंग और प्रदर्शन) विनियम, 2020 के तहत यह आदेश जारी किया गया है।
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जिनको पुलिस से छुपाकर रखते हैं, वही कारोबारियों को दे रहे लाखों-करोड़ों का फटका दृष्टिबाधित लोगों के लिए भी सुविधा विकलांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, 2016 के आदेश का भी एफएसएसएआई ने अपने गाइडलाइन में इसका जिक्र किया है। जिसमें दृष्टी बाधित लोगों को भी वाईस के माध्यम से उत्पाद के संबंध में पूरी जानकारी मिल पाए।
यह होगी प्रक्रिया -गूगल स्कैनर में प्रोडक्ट के बारे में जानने के लिए क्यूआर कोड स्कैन करना है।
-अगर क्यूआर कोड नहीं हो पाता है तो, क्यूआर कोड के नीचे लिखे नंबर को इंटर करना है।
-स्कैन करने पर प्रोडक्ट की सारी जानकारी सामने आ जाएगी। इसमें मैन्युफैक्चरर, प्राइस, डेट, एफएसएसआई लाइसेंस जैसी जानकारी आएगी।
– यदि स्कैन करने में जानकारी नहीं आती है, तो ये प्रोडक्ट नकली है।
– स्कैन करने पर भी जानकारी नहीं मिलने पर खाद्य निर्माता की शिकायत भी कर सकते हैं।
राज्य के सभी निर्माण एजेंसियों को एफएसएसएआई के निर्देश की जानकारी दे दी गई है। अब जो भी उत्पादन निर्माण होगा उसमें क्यूआर कोड डालना अनिवार्य रहेगा।
– रमेश शर्मा, कंट्रोलर, खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग