प्रदेश में हर साल जून में तबादला नीति जारी होती है। इसके बाद ही तबादलों की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। यह प्रक्रिया सितम्बर तक चलती है। यही वजह है कि इस बार तबादला नीति जारी होने को लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है। (Chhattisgarh News) इसके सबसे बड़ा कारण यह है कि तबादलों के लिए थोक में आवेदन आते हैं। जबकि राज्य और जिला स्तर पर तबादलों का प्रतिशत तय होता है।
ऐसे में जिनका तबादला नहीं हो पता है, उनकी नाराजगी सामने आती है। वहीं तबादला नीति जारी होने के बाद छोटे से लेकर बड़े नेता तबादला करवाने में लग जाते हैं। जबकि अभी सभी राजनीतिक दलों का पूरा फोकस सिर्फ चुनाव पर है। (CG Raipur News) बता दें कि तबादलों की वजह से दो बार स्कूल शिक्षा विभाग काफी चर्चा में आया है। सत्ता पक्ष के विधायकों ने ही अपने स्कूल शिक्षा मंत्री के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। अब चुनाव के समय यदि ऐसा विवाद सामने आएगा, तो उसका सीधा असर सरकार की छबि पर भी पड़ेगा।
अभी चुनावी तबादले भारत निर्वाचन आयोग ने छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव को पत्र लिखा है। इसमें आगामी चुनाव के मद्देनजर एक स्थान पर तीन साल से जमे अधिकारियों के तबादले के निर्देश दिए हैं। इसके लिए 31 जुलाई तक का समय दिया गया है। (Raipur News Update) इसके बाद प्रशासनिक स्तर पर इसकी कवायद शुरू हो गई है। इसी कड़ी में सोमवार को पुलिस महकमे में थोक तबादले हुए हैं। आने वाले दिनों में अन्य विभागों से भी इस तरह की सूची जारी हो सकती है।
कर्मचारी नेता सक्रिय तबादलों को लेकर कर्मचारी संघ के नेता सक्रिय हो गए हैं। उनकी मांग है कि सरकार जल्द से जल्द तबादला नीति 2023 जारी करें। छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन के प्रांतीय संयोजक कमल वर्मा ने कहा कि हर साल कर्मचारी तबादला नीति जारी होने का इंतजार करते हैं। (CG Election2023) इसको ध्यान में रखकर सरकार से मांग की गई है कि तबादला नीति जल्द जारी हो।