ईडी ने बुधवार को विज्ञप्ति जारी कर बताया कि कंपनी का बैंक अकाउंट 31 दिसंबर 2012 में नान परफॉर्मिंग एसेट(एनपीए) यानि लोन लेने के बाद किस्त नहीं चुकाने पर बैंक की रकम फंस गई थी। इसके बाद कंपनी के खिलाफ 2017 में नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) चेन्नई के समक्ष आईबीसी के तहत कार्रवाई शुरू की गई। तामिलनाडु के त्रिची स्थित बॉयलर निर्माण कंपनी सीथर लिमिटेड के खिलाफ सीबीआई, बीएसएफ, सेल बेंगलूरु द्वारा एफआईआर दर्ज किया गया था। इसी एफआईआर के आधार पर जांच शुरू की गई। सीथर लिमिटेड ने 895 करोड़ रुपए का बैंक लोन का लाभ एसकेएस के साथ कंसोर्टियम बनाकर इंडियन बैंक एसएएम शाखा मदुरै से उठाया।
पीएमएल के तहत 2022 में 9 करोड़ की संपत्ति कुर्क कंपनी द्वारा बैंक से धोखाधड़ी किए जाने की बात साबित होने पर कंपनी के खिलाफ पीएमएलए के तहत 2019 में अपराध दर्ज किया गया था। साथ ही कंपनी के ठिकानों पर छापे की कार्रवाई की गई थी। इस दौरान जांच के बाद 2022 में कंपनी के 9 करोड़ 8 लाख की (CG CRIME NEWS) ज्वैलरी और चल-अचल संपत्तियों को अटैच करने की कार्रवाई की गई थी।
नुकसान दिखाकर सवा दो सौ करोड़ की गड़बड़ी ईडी को जांच के दौरान पता चला कि कंपनी ने 565 करोड़ रुपए का उल्लेख बुक्स में नहीं किया था। साथ ही कंपनी ने निवेश और बिक्री में नुकसान दिखाकर 228 करोड़ रुपए का फर्जीवाड़ा किया। यह एनसीएलटी की कार्रवाई शुरू होने से सिर्फ 2 दिन पहले की गई थी। इसके दस्तावेज मिलने के बाद इसके साक्ष्यों को जब्त किया गया था।
3500 करोड़ रुपए की हेराफेरी ईडी को जांच के दौरान एसकेएस पावर जनरेशन छत्तीसगढ़ लिमिटेड के ईपीसी अनुबंध में सीथर लिमिटेड से मिलकर 3500 करोड़ रुपए की हेराफेरी करने के (raipur news) इनपुट मिले है। इसमें तत्कालीन मूल कंपनी एसकेएस पावर इस्पात के शेयरों में निवेश की आड़ में एसकेएस पावर एंड इस्पात लिमिटेड को 228 करोड़ रुपए दिए गए।