Patrika Achivement : 13 साल की ऊम्र में पंडवानी का मंच( Teejan Bai Performance) से प्रदर्शन किया। उस समय महिलाऐं पंडवानी बैठकर गाया करती थीं। तीजन पहली महिला थी जिन्होंने खड़े हो कर पंडवानी का प्रदर्श किया। इसके बाद तीजन बाई ने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी से लेकर अनेक हस्तियों के सामने पंडवानी का प्रदर्शन किया। देश विदेश में छत्तीसगढ़ का नाम रोशन किया।
Patrika Achivement : पंडवानी( Pandavani art) जहा विलुप्त होती जा रही थी। तीजन संघर्ष करके इसे जिन्दा रखने का प्रयास कर रहीं थी। कला की बदौलत धीरे-धीरे देश एवं विदेश से भी उन्हें सराहना मिलने लगी। वर्ष 1980 में वे भारत की सांस्कृतिक राजदूत के रूप में इंग्लैंड, फ्रांस, स्विट्जरलैंड, जर्मनी, टर्की, माल्टा, साइप्रस, रोमानिया, और मॉरीशस ( chhattisgarh culture ) जैसे देशों की यात्रा पर गई और पंडवानी की कला से लोगों का परिचय करवाया।
इन पुरुस्कारों से हो चुकी हैं सम्मानित Patrika Achivement : ‘पद्म विभूषण’( Teejan Bai Padma Vibhushan ) पुरस्कार से पहले तीजन बाई ( Teejan bai Awards) को वर्ष 1988 में ‘पद्मश्री’ , 1995 में श्री संगीत कला अकादमी पुरस्कार 2003 में डॉक्टरेट की डिग्री, 2003 में ‘पद्म भूषण’ 2016 में एम.एस. सुब्बालक्ष्मी शताब्दी पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है। सबसे रोचक बात यह है कि तीजन ने कोई औपचारिक शिक्षा नहीं ली, लेकिन उनकी उपलब्धि को देखते हुए बिलासपुर केंद्रीय विश्वविद्यालय की ओर से उन्हें डी. लिट की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया।