यह भी पढ़ें: नई आफत: कोविशील्ड लगने वालों को भेजे लिंक से जनरेट हो रहे कोवैक्सीन सर्टिफिकेट
पड़ताल में सामने आया कि 1 अप्रैल से 3 जून तक (64 दिनों में) 3105 कोरोना संक्रमित मरीजों की मौत हुई, यानी हर रोज 48 जानें गईं। इसी दौरान अस्पतालों में अन्य बीमारियों से भी लोगों ने दम तोड़ा। घरों में भी सामान्य या बीमार ग्रस्त लोगों की मौत हुईं। श्मशानघाट में स्थिति यह थी कि शेड कम पड़ जा रहे थे। शवों को अस्पताल से श्मशानघाट तक शव पहुंचाने वाले मुक्तांजलि वाहन कम पड़ गए थे, तो जिला प्रशासन ने ट्रकों को मुक्ताजंलि वाहन बना दिया था। मगर, अब मौतें कम हुई हैं तो देवेंद्र नगर और मारवाड़ी के अलावा गोकुल नगर श्मशान घाट में कोरोना मृतकों का दाह संस्कार किया जा रहा है, बाकी में नहीं।यह भी पढ़ें: 18 प्लस टीकाकरण: आज से फिर खुलेंगे बंद सेंटर, जानिए वैक्सीन के लिए रजिस्ट्रेशन कैसे कराएं
श्मशानघाट के कर्मी बोले, अब थोड़ी राहत
मारवाही श्मशानघाट में पदस्थ नगर निगम के कर्मचारी मनीष बताते हैं कि अप्रैल और मई के शुरुआती कुछ दिनों रोजाना 8-10 कोरोना मृतकों के शव आते थे। कई बार तो देर शाम तक दाह संस्कार करना पड़ता था। इस दौरान इतने ही शव सामान्य व्यक्तियों के भी आते थे। जितने भी शेड बने हैं, सभी में चिताएं चलती रहती थीं। कई बार शेड के बाहर भी दाह संस्कार करने पड़े। अच्छा है कि अब सबकुछ ठीक हो गया है। अब 1-2 कोरोना और 2-3 सामान्य तौर पर मरने वालों के शव आते हैं। मनीष कहते हैं कि इस दौरान उनका एक भी स्टाफ संक्रमित नहीं हुआ।
यह भी पढ़ें: सावधान! प्ले-स्टोर पर फर्जी कोविन और आरोग्य सेतु से मिलते-जुलते ऐप की भरमार, रहे सतर्क वरना
डॉ. भीमराव आंबेडकर अस्पताल के कोविड19 के यूनिट हेड डॉ. ओपी सुंदरानी ने कहा, पीक वाले महीनों में कोविड से मरने वाले व्यक्तियों की संख्या, अस्पतालों में मरने वाले व्यक्तियों की संख्या से अधिक इसलिए भी है क्योंकि बतौर उदाहरण अगर मरीज कैंसर पीडि़त था। उसे इलाज के दौरान कोरोना हुआ तो उसे कोरोना से मरने वालों की सूची में रखा गया। आने वाले दिनों में कोविड से मरने वालों की संख्या कम होती चली जाएगी।