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रायपुर

ऊहापोह में निगम प्रशासन, न घर-घर डस्टबिन बंटा न डोर टू डोर गाड़ी की निगरानी

– राष्ट्रीय स्वच्छता सर्वेक्षण -2023 : सफाई मित्रों को चार महीने से वेतन के लाले

रायपुरAug 07, 2023 / 11:18 am

Manish Singh

ऊहापोह में निगम प्रशासन, न घर-घर डस्टबिन बंटा न डोर टू डोर गाड़ी की निगरानी

ऊहापोह में निगम प्रशासन, न घर-घर डस्टबिन बंटा न डोर टू डोर गाड़ी की निगरानी

रायपुर@ राष्ट्रीय स्वच्छता सर्वेक्षण-2023 को लेकर निगम प्रशासन ऊहापोह में है। न तो घर-घर डस्टबिन बांटने का काम हुआ न ही डोर टू डोर कचरा उठ रहा है। इसकी पुख्ता तौर पर निगरानी की जा रही है। पिछली बार स्वच्छता रैंकिंग में रायपुर टॉप टेन से बाहर हो चुका है। रैंकिंग सुधारने की चुनौती बनी हुई है। वहीं दूसरी तरफ स्वच्छता मित्रों को चार महीने से वेतन भुगतान नहीं किया है। ऐसे 160 कर्मचारी निगम कार्यालय के चक्कर काटने को मजबूर हैं।
डस्टबिन वितरण पर अब तक अमल नहीं

ऐसे समय में जब केंद्रीय सर्वेक्षण टीम जमीनी स्तर पर काम शुरू करने वाली है, तब सफाई मित्र वेतन के लिए निगम मुख्यालय में धावा बोल रहे हैं। चार महीने से वेतन नहीं मिलने से उनके सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हुआ है। बच्चों को किताब-कॉपी और ड्रेस की चिंता में है। उन्हें किसी तरह समझा-बुझाकर अपर आयुक्त ने इस भरोसे के साथ वापस भेजा कि वेतन भुगतान की प्रक्रिया चल रही है। वे सभी लोग काम पर जाएं। ऐसे में वार्डों में किस तरह साफ-सफाई में सुधार हो रहा है, अंदाजा लगाया जा सकता है। निगम के बजट और सामान्य सभा में सूखा व गीला कचरा अलग-अलग कलेक्शन कराने के लिए डस्टबिन बांटने का ऐलान किया गया। उस पर आज तक अमल नहीं हुआ है।
लोग खाली जगहों में फेंक रहे कचरा

डोर टू डोर सूखा और गीला कचरा कलेक्शन का ठेका रामकी कंपनी को दिया गया है। परंतु यह कंपनी आज तक सफल नहीं हुई। कंपनी की गाड़ी कई वार्डों में दूसरे-तीसरे दिन पहुंचती है। ऐसे में लोग मोहल्ले और कॉलोनियों में जहां खाली जगह देखते हैं, कचरा फेंक देते हैं। इससे पहले निगम हर वार्ड में 100, 200 रुपए जुर्माना वसूल करना शुरू कर दिया था। जिसे इसलिए बंद कर दिया कि जब तक घरों में डस्टबिन नहीं पहुंचा देते तब तक जुर्माना नहीं लिया जाएगा। ऐसे में लोग एक ही डस्टबिन में दोनों तरह के कचरे भर रहे हैं।
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हर महीने करीब 4 करोड़ की बिलिंग

शहर की सफाई के नाम पर नगर निगम हर महीने करीब 4 करोड़ की बिलिंग करता है, लेकिन जमीनी स्तर पर बुरा हाल है। निगम के जिम्मेदारों ने जब-जब औचक जांच किया तो कहीं 20 तो कहीं 25 सफाई कामगार कम पाए गए हैं। जबकि वार्डों की जनसंख्या के हिसाब से 35, 40 और 45 के कर्मियों के अनुपात से ठेका दिया गया है। उसकी कोई मॉनिटरिंग नहीं है। निगम आयुक्त की टीमें भी बाहर नहीं निकलीं। 15 दिन बीत गए।

निगम अपर आयुक्त विनोद पांडेय ने बताया कि राष्ट्रीय स्वच्छता सर्वेक्षण की तैयारी हर जोन में चल रही है। अभी डस्टबिन नहीं बंटी है। लोगों में जागरुकता की कमी है, घरों का कचरा नालियों में फेंकने से चोक हो जाती है। स्वच्छता मित्रों और दीदीयों को वेतन देने की प्रक्रिया चल रही है।

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