सोमवार तक राज्य के 97067 मरीज स्वस्थ हो चुके थे। मंगलवार को 34848 वां मरीज स्वस्थ होती ही आंकड़ा 1 लाख पार कर गया। भले ही राहत का वक्त हो, मगर कोरोना के काले दौर में अब तक 1100 लोगों अपनों ने खोया, जिसका दुख वे जानते हैं। इनमें 4 साल की रायपुर की बच्ची से लेकर 19 साल की जगदलपुर की कैंसर पीडि़ता युवती, 90 साल की बिलासपुर की बुजुर्ग महिला, युवा डॉक्टर, नेता, अधिकारी शामिल हैं।
होम आइसोलेशन वाले मरीजों को खुद ही करना पड़ रहा है अपना इलाज, स्वास्थ्य विभाग नहीं कर रहा मदद
अभी भी सैंकड़ों गंभीर मरीज है, 27 हजार का इलाज जारी है। मगर, अभी एक और राहत की बात यह है कि सितंबर त्रासदी के बाद अक्टूबर में थोड़ी राहत है। रायपुर में संक्रमित मरीजों का आंकड़ा बीते 6 दिनों में 400 से अधिक नहीं गया है, प्रदेश में एक्टिव मरीजों की संख्या ३० हजार के नीचे पहुंचे है। मगर, अभी तक केंद्र सरकार, केंद्र सरकार की एजेंसी आईसीएमआर या फिर किसी भी राष्ट्रीय संस्थान ने कोरोना के पीक का भी दावा नहीं किया है।
कोरोना संक्रमित 1 लाख स्वस्थ मरीजों वाला छत्तीसगढ़ 17वां राज्य-
राज्य- स्वस्थ हुए मरीज
महाराष्ट्र- 1162585
आंध्रप्रदेश- 666433
कर्नाटक- 522846
तमिलनाडू- 569664
उत्तरप्रदेश- 366321
दिल्ली- 263938
पश्चिम बंगाल- 240707
ओडिशा- 206400
केरला- 149111
तेलंगाना- 174769
बिहार- 176674
असम- 153448
राजस्थान- 123421
गुजरात- 123870
मध्यप्रदेश- 115878
पंजाब- 102648
छत्तीसगढ़- 100551
हमारे जीवन में अहम बदलाव
– हर व्यक्ति को मास्क की अहमियत का पता चल गया। भले ही सभी इसका इस्तेमाल न कर रहे हों।
– सोशल डिस्टेंसिंग के बाद फिजिकल डिस्टेंसिंग की परिभाषा समझ आई।
– हाथ को नियमित साबून से धोना या सेनिटाइज करने का पाठ सीखा।
कोरोना नियंत्रण के तरीकों में समय के साथ बदली रणनीति भी
सैंपलिंग-
पहले- हर संदिग्ध मरीज की जांच के निर्देश थे।
अब- लक्षण के आधार पर सैंपलिंग के निर्देश। प्राइमरी कांटेक्ट वाले भी लक्षण आने का इंतजार करें। होम आइसोलेशन में रहें।
टेस्टिंग-
पहले- एम्स, जगदलपुर मेडिकल कॉलेज में आरटी-पीसीआर टेस्ट हो रहे थे।
अब- एम्स समेत ६ मेडिकल कॉलेज, निजी अस्पतालों और लैब में आरटी-पीसीआर टेस्ट हो रहे हैं। रिपोर्ट २४ से ४८ घंटे में आती है। एंटीजन टेस्ट में ३० मिनट और ट्रूनेट से ४-५ घंटे में रिपोर्ट मिल जाती है।
ट्रीटमेंट
पहले- कोरोना मरीज मिलने पर उसे सीधे अस्पताल में भर्ती किया जाता था।
अब- अब लक्षण के आधार पर मरीज को अस्पतालों में भर्ती करवाया जाता है। सरकार ने होम आइसोलेशन की सुविधा दी है। यानी घर पर रहकर ही इलाज मिलता है। ४० हजार मरीज होम आईसोलेशन में रहते हुए ठीक हुए हैं।
कंटेनमेंट जोन
पहले- एक मरीज मिलने पर ३ किमी का एरिया कंटेनमेंट जोन बना दिया जाता था। आना-जाना प्रतिबंधित।
अब 5- मरीज मिलने पर कंटेनमेंट जोन बनता है। 3 किमी का क्षेत्र अब कंटेनमेंट नहीं होता। न ही 3 किमी में सर्वे होता है। क्योंकि अब मरीजों की संख्या हर जिले में हजार पार है।
4 विभागों की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका
स्वास्थ्य विभाग- संदिग्ध व्यक्तियों की सैंपलिंग, टेस्टिंग और फिर उनके इलाज की पूरी व्यवस्था करना। इलाज के लिए कोविड अस्पताल, कोरोना केयर सेंटर, ऑक्सीजन युक्त बेड, वेंटिलेटर सिस्टम, निजी अस्पतालों का सहयोग लेना। किफायती दरों में जांच हो, इलाज मिले इसके लिए दरों का निर्धारण।
जिला प्रशासन- स्वास्थ्य विभाग के साथ तालमेल बैठाकर दिशा-निर्देशों का पालन करवाना। लॉकडाउन का पालन करवाना। कांटेक्ट ट्रेसिंग करना, मरीजों से फीडबैक लेना, प्लाज्मा थैरेपी के लिए संपर्क करना।
नगर निगम- संक्रमित मरीजों के मिलने पर कंटेनमेंट जोन का निर्माण, मरीज को घर से अस्पताल तक पहुंचना, कोरोना अधिनियम के नियमों का पालन करने वालों पर चालानी कार्रवाई करना और मृतकों का दाह संस्कार करना।
पुलिस प्रशासन- स्वास्थ्य विभाग, जिला प्रशासन, नगर निगम के साथ निर्देशों का पालन करवाना। कोविड अस्पतालों में व्यवस्था बनाए रखना भी।
कोरोना संक्रमण को लेकर अभी कुछ भी अनुमान नहीं लगाया जा सकता। बस हमें मृत्युदर को कम करना है। सभी प्रयास इसी दिशा में जारी हैं। लोग डरें नहीं, टेस्ट करवाने के लिए केंद्रों में जाएं।
-नीरज बंसोड़, संचालक, संचालनालय स्वास्थ्य सेवाए
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