जब लड़की ड्यूटी करने पहुंची अस्पताल, तो सीनियर ने किया दरवाजा बंद और करने लगा ज़बरदस्ती गन्दा काम
प्रदेश का एक स्थान ऐसा भी है जहा बारिश के दिनों अगर किसी की मृत्यु हो जाती है तो उसे मुक्तिधाम में तिरपाल लगा कर मुखाग्नि दी जाती है। ऐसा ही मामला देखने को मिला पाण्डुका के मुक्तिधाम में। जहां की छत पूरी तरह से जर्जर हो चुकी है। इसके चलते बारिश के मौसम में यहां अंतिम संस्कार करना काफी मुश्किल भरा होता है। गौरतलब है कि ग्राम के युवा तुकेस तारक की आकस्मिक मृत्यु के बाद अंतिम संस्कार के लिए इस मुक्तिधाम में लाया गया।चावल घोटाले पर मंत्री से लेकर अधिकारी तक की आँखे बंद, राज्योत्सव में हुआ था 108 क्विंटल का घपला
जहां छत नहीं होने के कारण दोस्तों और परिजनों ने तिरपाल के सहारे मुखाग्नि दी। एक ओर जहां मुक्तिधाम लोगों की सुविधा के लिए बनाए गए है ताकि वे अपने परिजनो का अंतिम संस्कार सही ढंग से कर पाए। तो दूसरी तरफ पाण्डुका का मुक्तिधाम लोगों के लिए समस्या बन चुका है लेकिन जनप्रतिनिधियों को इसकी जरा सी भी चिंता नहीं है।बाढ़ से बेहाल बस्तर, दर्जन से ज्यादा बह गए घर, बचना है तो कर ले तैयारी
यहीं नहीं पंचायत सरकड़ा में देखे तो इस क्षेत्र में एक भी मुक्तिधाम नहीं है। जहां ग्रामीणों का कहाना है कि इस क्षेत्र के पूर्व पंचायत प्रतिनिधियों द्वारा मुक्तिधाम निर्माण के लिए मिले पैसे डकार लिए गए है। इसके चलते यहां के निवासी नदी किनारे खुले आसमान के निचे अंतिम संस्कार मजबूरी में करते है।