अच्छा हुआ कि परिजन समय पर अस्पताल लेकर आ गए। बच्चे का इलाज करने वाल ईएनटी सर्जन डॉ. दिग्विजय सिंह के अनुसार ब्रोंकोस्कोपी कर पेंसिल का छिलका निकाल लिया गया। इससे बच्चे को राहत मिली और सामान्य ढंग से सांस लेने लगा। बच्चे को बेहोश कर ब्रोंकोस्कॉपी जांच डॉ. सतीश राठी और डॉ. दिग्विजय ने किया। इस जांच में पेंसिल का छिलका दाएं तरफ की सांस नली में फंसा हुआ दिखा। इसके बाद इसे निकालने का निर्णय लिया गया। डॉक्टरों के अनुसार ऐसे मामले में खासकर सांस नली में कोई चीज फंसने पर मासूम की जान भी जा सकती है। समय पर इलाज कर मासूम की जान बचाई जा सकती है।
पीडियाट्रिक विभाग में भर्ती है मासूम
ऑपरशन के बाद मासूम को शिशु रोग विभाग के आईसीयू में रखा गया है। सांस लेने की तकलीफ दूर हो गई है। डॉक्टर की सघन निगरानी की जरूरत है। इसलिए पीडियाट्रिशियन इन्हें देख रहे हैं। इस आपरेशन में ईएनटी विभाग से डॉ नंदिनी गुप्ता और डॉ. सुमति गोयल का भाी योगदान रहा। एनेस्थेटिस्ट डॉ मनीष नाग, डॉ हेमाली दोषी व डॉ. रीमा वाधवा रहे। ऑपरेशन के पहले जांच व अब आईसीयू में सीनियर पीडियाट्रिशियन डॉ बद्री नारायण राव के नेतृत्व में इलाज किया जा रहा है।
आप भी ये बातें रखें ध्यान
- – छोटे बच्चों के आसपास सिक्के, बैटरी, बटन, बीज या थर्मोकोल जैसी चीजें न रखें।
- – हमेशा बड़ों के देखरेख में मासूम खेले।
- – मासूम कुछ निगल गया हो तो घर में प्रयास करने के बजाय विशेषज्ञ डॉक्टर को दिखाएं।
- – खासकर सांस नली में कोई चीज फंसने पर जान का खतरा हो सकता है।
- – कोई चीज निगलने न दें।
कई बार मासूम व छोटे बच्चे फॉरेन बॉडी निगल लेते हैं। ये अक्सर सांस नली में जांकर फंस जाती है। ये जान के लिए खतरा हो सकता है। ऐसे में विशेषज्ञ डॉक्टर को दिखाने से विषम परिस्थितियों से बचा जा सकता है।