छत्तीसगढ़ पुलिस की कार्रवाई से इस बात का खुलासा हुआ है। राजधानी समेत प्रदेश के अलग-अलग जिलों में कारोबार करने वाले कुछ कारोबारी ज्यादा मुनाफे की लालच में डी-प्रोडक्ट अपने ग्राहकों को थमा रहे हैं और उनका आर्थिक नुकसान के साथ शारीरिक नुकसान भी पहुंच रहे हैं। विभागीय अधिकारी भी कंपनी की शिकायत पर कार्रवाई करने निकलते हैं, अन्यथा चुपचाप अपने कार्यालयों में बैठे रहते हैं।
रायपुर•Dec 02, 2022 / 10:57 am•
Sakshi Dewangan
@राकेश टेंभुरकर. प्रदेश के बाजारों से यदि आप क्रीम, तेल, टीवी, टी-शर्ट, पानी की टंकी और इंजन ऑयल खरीद रहे हैं, तो एक बार प्रोडक्ट की अच्छी तरह से जांच कर लें। आपके द्वारा खरीदे जाने वाला उत्पाद डी-प्रोडक्ट (डुप्लीकेट) हो सकता है। यह हम नहीं कह रहे, बल्कि छत्तीसगढ़ पुलिस की कार्रवाई से इस बात का खुलासा हुआ है। राजधानी समेत प्रदेश के अलग-अलग जिलों में कारोबार करने वाले कुछ कारोबारी ज्यादा मुनाफे की लालच में डी-प्रोडक्ट अपने ग्राहकों को थमा रहे हैं और उनका आर्थिक नुकसान के साथ शारीरिक नुकसान भी पहुंच रहे हैं। विभागीय अधिकारी भी कंपनी की शिकायत पर कार्रवाई करने निकलते हैं, अन्यथा चुपचाप अपने कार्यालयों में बैठे रहते हैं।
50 से ज्यादा कारोबारी धरे गए
डी प्रोडक्ट के इस कारोबार में शामिल 50 से ज्यादा कारोबारियों को छत्तीसगढ़ पुलिस ने संबंधित कंपनियों की शिकायत के बाद पकड़ा है। पुलिस के हत्थे चढ़े आरोपियों में से 15 से ज्यादा कारोबारी रायपुर के हैं। इन आरोपियों से करोड़ों रुपए का नकली सामान बरामद किया गया है। जो सामान बरामद किया गया, उसमें साबुन, शैंपू, कास्मेटिक, नारियल तेल, सरसों तेल, इंजन ऑइल, इलेक्ट्रॉनिक सामान, ब्रांडेड कपड़ा, जूता, पानी की टंकी, पानी के पाइप, चायपत्ती सहित अन्य सामान शामिल दिल्ली, मुंबई से पहुंचता है नकली सामान
रायपुर में सबसे अधिक मुंबई और दिल्ली के बाजार से नकली सामानों की सप्लाई होती है। स्थानीय कारोबारी वहां से खरीदकर लाने के बाद कम कीमत पर इसे बेचते हैं। वहीं कीमतों में अंतर होने और दुकानदार द्वारा गारंटी के आश्वासन पर यह खप जाता है। इसके चलते नामचीन कंपनियों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है, वहीं इनके उत्पादों की बिक्री में भारी गिरावट आती है।
स्वास्थ्य पर पड़ता है विपरीत असर
आंबेडकर अस्पताल के स्किन रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉक्टर मृत्युंजय सिंह के अनुसार नकली प्रोडक्ट का इस्तेमाल करने पर सबसे ज्यादा खतरा महिलाओं को हो रहा है। उन्हें स्किन से संबंधित समस्याएं हो रही हैं। कई रिसर्च में आ चुका है कि इस तरह के प्रोडक्ट का लंबे समय तक इस्तेमाल करने से स्किन कैंसर का खतरा रहता है।
6 करोड़ से ज्यादाका कारोबार
जिले के जागरूक कारोबारियों के अनुसार प्रदेश में डी प्रोडक्ट का बडा कारोबार है। रायपुर समेत प्रदेशभर में साल भर में 6 करोड़ से ज्यादा का कारोबार होता है। नामी कंपनियों के ट्रेडमार्क, स्टीकर का इस्तेमाल कर कारोबारी नकली सामान बेचने का गोरखधंधा रायपुर से लेकर पूरे प्रदेश में चला रहे हैं। हालांकि इसकी शिकायत मिलने पर रायपुर, महासमुंद, राजनांदगांव, दुर्ग और बिलासपुर में कार्रवाई हुई है।
ऑनलाइन के नाम पर खेल
नकली सामान बेचने के गोरखधंधे में ऑनलाइन शॉपिंग साइट के जरिए भी ठगी हो रही है। ऑनलाइन खरीदारी करने वालों का कहना है कि स्नैपडील, फ्लिपकार्ट, नापतौल, अमेजॉन समेत अन्य साइट पर आर्डर देने पर उन्हें कई बार धोखा मिल चुका है। वहीं कारोबारियों का दावा है कि ऑनलाइन खरीदारी में सबसे अधिक इलेक्ट्रॉनिक्स, कास्मेटिक, स्पोर्टस का सामान, कपड़े आदि नकली सामानों की सप्लाई हो रही है।
पुलिस करती है कॉपी राइट की कार्रवाई
नकली सामान बेचने हुए पकड़े जाने पर पुलिस कॉपी राइट एक्ट के तहत कार्रवाई करते हुए सामानों को जब्त करती है। इस दौरान संबंधित कारोबारी को गिरफ्तार करने के बाद जमानत पर सशर्त रिहा कर दिया जाता है। वहीं चालान पेश करते समय आरोपी कारोबारी को कोर्ट में उपस्थिति दर्ज करानी पड़ती है। इस लंबी प्रक्रिया के चलते कारोबारी दोबारा नकली सामान का खरीद-फरोख्त में जुट जाता है।
नकली सामान बनाना और बेचना गैर कानूनी है। अगर नकली मार्का का यूज किया जा रहा है तो संबंधित कंपनी के साथ पुलिस को भी इस पर सख्ती के साथ एक्शन लेना चाहिए।
अमर पारवानी, अध्यक्ष, छत्तीसगढ़ चैंबर ऑफ कॉमर्स
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