2003 से लेकर अब तक इतने मामले सामने आए CGPSC Controversy : 2003 में सर्वाधिक विवाद हुई परीक्षा को लेकर हुआ। 2005 में रिजल्ट जारी होने के बाद मामला हाईकोर्ट गया। जहां नए सिरे से मेरिट सूची बनाने और पदस्थापना का आदेश जारी किया। इस पर अमल होने की स्थिति में आधा दर्जन डिप्टी कलेक्टर निचले संवर्ग में चले जाते, लेकिन मामला सुप्रीम कोर्ट चला गया।
– 2008 की परीक्षाओं में गड़बड़ी पर हाईकोर्ट में याचिका दायर हुई और कोर्ट ने गलती सुधारने निर्देश दिए – 2016 में असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती परीक्षा आयोजित की गई थी। इसमें गलत सवाल पूछे गए। अंग्रेजी विषय के 100 सवाल में से मॉडल आंसर में 47 सवाल विलोपित कर दिए। आठ से 10 सवाल पाठ्यक्रम के बाहर से थे। फिर पीएससी ने तय किया कि सिर्फ 53 सवालों का ही मूल्यांकन होगा। आखिर में पीएससी ने अंग्रेजी विषय के असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती परीक्षा को रद्द कर दी।
– 2017 मई में पीएससी की प्रारंभिक परीक्षा में पूछे गए सवालों में 50 से अधिक सवाल से ही गलत निकले। हाईकोर्ट के निर्देश के बाद कुछ सवालों को लेकर फिर से जांच कर इसके नतीजे दोबारा जारी किए गए।
– 2018 में पीएससी की इंजीनियरिंग सेवा परीक्षा के मॉडल आंसर मार्च में जारी हुए। परीक्षा में 150 सवाल पूछे गए थे। सवालों के जवाब के लिए पांच विकल्प ए,बी,सी,डी और ई थे।मॉडल आंसर जारी हुए तो प्रश्न क्रमांक एक से 76 तक का जवाब आप्शन ए ही । इसे लेकर भी विवाद हुआ
– 2019 में सिविल जज के 39 पदों के लिए परीक्षा ली। इसे भी हाईकोर्ट में चुनौती दी गई कि परीक्षा में पूछे गए 100 में से 70 प्रश्नों में स्पेलिंग मिस्टेक है। – 2020 में भी अफसरों के बच्चों के चयनित होने का आरोप लगा।