रायपुर

स्वयं प्रकट हुए थे महादेव! नहीं सूखता कभी कुंड का पानी, पूरी होती है हर मुराद, यह है भिलाई का प्राचीन शिव मंदिर

Chhattisgarh Tourism information : छत्तीसगढ़ में मंदिरों की कमी नहीं है। यहाँ पर अनेक देवी देवताओं के मंदिर है। उन से जुडी कई मान्यताएं हैं। ऐसा ही भिलाई का कलचुरी शिव मंदिर है। इसका निर्माण कलचुरी युग में हुआ था।

रायपुरJun 07, 2023 / 06:57 pm

चंदू निर्मलकर

स्वयं प्रकट हुए थे महादेव! नहीं सूखता कभी कुंड का पानी, पूरी होती है हर मुराद, यह है भिलाई का प्राचीन शिव मंदिर

Chhattisgarh Tourism information : भिलाई. छत्तीसगढ़ में मंदिरों की कमी नहीं है। यहाँ पर अनेक देवी देवताओं के मंदिर है। उन से जुडी कई मान्यताएं हैं। ऐसा ही भिलाई का कलचुरी शिव मंदिर है। इसका निर्माण कलचुरी युग में हुआ था। कलचुरी युग में बनाने के कारन इसका नाम कलचुरी शिव मंदिर पड़ा।
Chhattisgarh Tourism information : इस मंदिर से जुडी कई दिलचस्प कहानियां हैं। सबसे ज्यादा रोमांचक कहानी इसके निर्माण की है। पुजारी कहते हैं कि शिवलिंग मंदिर के गर्भगृह में सवयं प्रकट हुआ था। महादेव की यहाँ असीम कृपा है। मंदिर के पुजारी ने यह भी बताया कि मंदिर के प्रगण में एक नाग-नागिन का जोड़ा है। जो कई सालों में दिखाई पड़ता है। कई बार तो लोग इन्हें भगवान भोलेनाथ के शिवलिंग में लिपटे हुए भी देखा गया है।
स्वयं प्रकट हुए थे महादेव! नहीं सूखता कभी कुंड का पानी, पूरी होती है हर मुराद, यह है भिलाई का प्राचीन शिव मंदिर
कभी नहीं सूखता कुंड का पानी

Chhattisgarh Tourism information : मंदिर प्रांगण के अंदर एक कुंड बना हुआ है. बताया जाता है कि इस कुंड का पानी कभी नहीं सूखता और पानी कहां से आता है इसका स्रोत भी किसी को नहीं पता. ऐसा लोगों की मान्यता है कि कुंड के अंदर एक सुरंग है जोकि छत्तीसगढ़ के आरंग जिले में कहीं पर निकलता है. हालांकि यह सिर्फ मान्यता है इसका अब तक वैज्ञानिक या क्या पुरातात्विक प्रमाण नहीं मिले हैं.
स्वयं प्रकट हुए थे महादेव! नहीं सूखता कभी कुंड का पानी, पूरी होती है हर मुराद, यह है भिलाई का प्राचीन शिव मंदिर
महादेव पूरी करते हैं हर मनोकामना


Chhattisgarh Tourism information : मान्यता है कि यहाँ आने वालों को महादेव खुद आशीर्वाद देते है। मांगी गई मनोकामना छह महीने में पूरी हो जाती है। देशभर से करीब 2 से 3 लाख लोग दर्शन करने आते है। यहां पर महाशिवरात्रि में तीन दिनों का मेला भी लगता है।
दिलचस्प है निर्माण की कहानी


Chhattisgarh Tourism information : यहाँ के पुजारी बताते है कि , इस मंदिर का निर्माण छमासी की रात में एक व्यक्ति द्वारा किया गया था। वह निर्माण कार्य से पहले यहाँ के कुंड में नहाता था।नहाने के नाद नग्न अवस्था में ही वह निर्माण कार्य में जुट जाता था। उसकी पत्नी रोज़ खाना लेके आती थी। एक दिन उसकी बहन खाना लेके आयी। उसने जब यह देखा तोह शर्म के मारे कुंड में कूद गया। तब से उस व्यक्ति का कुछ पता नहीं चला। उसकी लाश भी नहीं मिली। इसलिए मंदिर गुम्बद अधूरा है।

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