scriptCG Medical News: 22 से 28 हजार अलाउंस हर माह, सीनियर डॉक्टर प्रेक्टिस भी कर रहे व भत्ता भी ले रहे, डॉक्टरों पर कार्रवाई के आदेश | CG Medical News: 22 to 28 thousand allowances every month, senior doctors | Patrika News
रायपुर

CG Medical News: 22 से 28 हजार अलाउंस हर माह, सीनियर डॉक्टर प्रेक्टिस भी कर रहे व भत्ता भी ले रहे, डॉक्टरों पर कार्रवाई के आदेश

CG Medical News: रायपुर जिले पं. जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के कई सीनियर डॉक्टर प्रेक्टिस भी कर रहे हैं और न एनपीए भी ले रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल ने ऐसे डॉक्टरों पर कार्रवाई के आदेश दिए हैं। इसके बावजूद कॉलेज के किसी डॉक्टर ने एनपीए छोड़ने के लिए आवेदन नहीं दिया है।

रायपुरSep 30, 2024 / 09:48 am

Shradha Jaiswal

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CG Medical News: छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले पं. जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के कई सीनियर डॉक्टर प्रेक्टिस भी कर रहे हैं और न एनपीए भी ले रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल ने ऐसे डॉक्टरों पर कार्रवाई के आदेश दिए हैं। इसके बावजूद कॉलेज के किसी डॉक्टर ने एनपीए छोड़ने के लिए आवेदन नहीं दिया है। मतलब वे प्रेक्टिस भी करते रहेंगे और एनपीए भी लेते रहेंगे। कॉलेज के 219 में 129 डॉक्टर एनपीए ले रहे हैं। इनमें 40 फीसदी डॉक्टर प्रेक्टिस करने के साथ भत्ता भी ले रहे हैं। नियमानुसार ये सही नहीं है।
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CG Medical News: अस्पताल में 219 में 129 डॉक्टर ले रहे एनपीए

डॉक्टरों को हर माह 22 से 28 हजार रुपए नॉन प्रेक्टिस अलाउंस मिल रहा है। इसमें क्लीनिकल व नॉन क्लीनिकल विभाग के डॉक्टर शामिल हैं। नॉन क्लीनिकल वाले डॉक्टर भी एनपीए लेने के बावजूद प्रेक्टिस कर रहे हैं। प्रेक्टिस के साथ एनपीए लेने वाले ज्यादातर डॉक्टर क्लीनिकल विभाग के हैं। यानी जिनकी प्रेक्टिस अच्छी चल रही है, वे भी एनपीए लेने का मोह नहीं छोड़ पा रहे हैं। इसमें कई एचओडी हैं। वे ये तर्क देकर बच जाते हैं कि उनका खुद का अस्पताल या डायग्नोस्टिक सेंटर नहीं है। यानी अस्पताल पत्नी के नाम पर है।
हाल ही में कमिश्नर मेडिकल एजुकेशन ने एनपीए लेने व न लेने वाले डॉक्टरों की सूची मांगी है। इसके पहले विधानसभा सत्र के समय एक विधायक के प्रश्न पर ऐसी जानकारी मंगाई गई थी। इसमें खुद का अस्पताल या क्लीनिक की जानकारी भी मांगी गई थी। डीन ने ये सूची डीएमई कार्यालय को भेजा था।

59 फीसदी डॉक्टरों को मिल रहा एनपीए

कॉलेज के 59 फीसदी डॉक्टरों को एनपीए मिल रहा है। इनमें प्रोफेसर से लेकर एसोसिएट प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर, सीनियर रेसीडेंट व जूनियर रेसीडेंट भी शामिल हैं। प्रोेफेसर को हर माह 28 हजार, एसोसिएट प्रोफेसर को 25 हजार व असिस्टेंट प्रोफसर को 22 हजार रुपए अलाउंस मिल रहा है। ये उन्हें इसलिए दिया जा रहा है, ताकि वे प्राइवेट प्रेक्टिस न करें। उनका पूरा फोकस अस्पताल के मरीजों के इलाज पर हो।
इसके बाद भी कई डॉक्टर सरकारी नियमों को ढेंगा दिखाते हुए एनपीए का लाभ उठा रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि वाकई जो डॉक्टर प्रेक्टिस नहीं करते, उन्हें एपीए देना चाहिए। ऐसे डॉक्टरों की जांच होनी चाहिए, जो प्रेक्टिस के बाद भी खुलेआम अलाउंस ले रहे हैं।
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गोपनीय जानकारी बताकर आरटीआई में नहीं दी सूची

पत्रिका रिपोर्टर ने तीन साल पहले नेहरू मेडिकल कॉलेज में आरटीआई लगाकर एनपीए लेने व न लेने वाले डॉक्टरों की सूची मांगी थी। यह जानकारी नहीं दी गई। कहा गया कि यह गोपनीय जानकारी है। दरअसल, तब स्थापना शाखा के प्रभारी एक सीनियर डॉक्टर थे। वे प्रेक्टिस भी करते हैं और एनपीए भी ले रहे हैं। पोल न खुल जाए इसलिए गोपनीय जानकारी बताकर सूची नहीं दी गई। जबकि स्थापना शाखा ने दस्तावेज तैयार कर लिए थे। जब वे स्थापना प्रभारी के हस्ताक्षर कराने गए तो उन्होंने इसे देने से मना करवा दिया।

इसलिए सती नहीं करती कोई सरकार

प्रदेश के 10 सरकारी मेडिकल कॉलेजों में फैकल्टी के 1029 से ज्यादा पद खाली हैं। इनमें प्रोफेसर, एसो. प्रोफेसर, असि. प्रोफेसर व सीनियर रेसीडेंट पद शामिल हैं। मेडिकल कॉलेजों में नए डॉक्टर कम ज्वाइन कर रहे हैं। अगर वे करते भी हैं तो एक या दो साल बाद निजी अस्पताल ज्वाइन कर लेते हैं। ऐसे में प्रदेश की कोई भी सरकार डॉक्टरों के खिलाफ सती नहीं करती।
डॉक्टरों को अक्सर ये कहते सुना जा सकता है कि अगर उनका ट्रांसफर हुआ तो वे नौकरी छोड़ देंगे या प्रमोशन ही त्याग देंगे। ऐसा कई केस भी है, जिसमें डॉक्टरों ने प्रमोशन ठुकराकर रायपुर में सेवाएं दे रहे हैं। कुछ डॉक्टरों का पहले अंबिकापुर ट्रांसफर हुआ था। ये डॉक्टर नौकरी छोड़कर निजी कॉलेज ज्वाइन कर लिए।

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