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रायपुर

CG Medical College: दूसरे राउंड की च्वॉइस फिलिंग के पहले सीट मैट्रिक्स नहीं, भटक रहे छात्र

CG Medical College: रायपुर में मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन के लिए छात्रों के लिए समस्या बड़ गयी है। बिना सीट मैट्रिक्स दूसरे राउंड के लिए च्वॉइस फिलिंग नहीं कर पा रहे हैं, क्योंकि उन्हें पता ही नहीं है कि किन-किन सरकारी या निजी मेडिकल कॉलेजों में किस कैटेगरी की कितनी सीटें खाली हैं।

रायपुरSep 12, 2024 / 11:22 am

Shradha Jaiswal

CG medical education
CG Medical College: छत्तीस्रगढ़ के रायपुर में मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन के लिए पहले राउंड की काउंसलिंग पूरी हो चुकी है। छात्रों के लिए समस्या ये है कि वे बिना सीट मैट्रिक्स दूसरे राउंड के लिए च्वॉइस फिलिंग नहीं कर पा रहे हैं, क्योंकि उन्हें पता ही नहीं है कि किन-किन सरकारी या निजी मेडिकल कॉलेजों में किस कैटेगरी की कितनी सीटें खाली हैं। जबकि चिकित्सा शिक्षा विभाग ने 9 सितंबर से च्वॉइस फिलिंग के लिए पोर्टल खोल दिया है। यही समस्या अपग्रेडेशन का विकल्प देने वाले छात्रों की है। वे भी पसंद के कॉलेज नहीं चुन पा रहे हैं, क्योंकि उन्हें भी खाली सीटों की जानकारी नहीं है। ऐसे कई छात्र मेडिकल कॉलेजों के चक्कर लगाते देखा जा सकता है।
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CG Medical College: छात्रों को मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन की आस

CG Medical Student 2024: मेडिकल कॉलेजों में पहले राउंड में 5 सितंबर को एडमिशन की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। यानी चिकित्सा शिक्षा विभाग के पास किन कॉलेजों में किस-किस कैटेगरी की कितनी सीटें खाली हैं, उसकी पूरी कुंडली है। काउंसलिंग कमेटी की जिमेदारी है कि दूसरे राउंड शुरू होने के पहले सीट मैट्रिक्स डीएमई की अधिकृत वेबसाइट पर अपलोड करवाती। यह सीट मैट्रिक्स अब तक अपलोड नहीं किया गया है। ऐसे में जिन छात्रों को मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन की आस है, वे अंदाजे से च्वॉइस फिलिंग कर रहे हैं। इस बात की कोई गारंटी नहीं कि उन्हें सीट मिल ही जाएगी। ये इसलिए कि अगर कोई छात्र ओबीसी कैटेगरी का है और उन्होंने पं. जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में सीट पसंद कर ली, लेकिन इस कैटेगरी की सीट नहीं रहने पर रैंक अच्छी होने पर भी उन्हें एडमिशन नहीं मिल पाएगा। इससे छात्र की समस्या बढ़ जाएगी। इसलिए छात्र कॉलेजों के चक्कर लगा रहे हैं।

सीट मैट्रिक्स नहीं, मतलब पारदर्शिता है खतरे में

दूसरे राउंड की च्वॉइस फिलिंग के पहले कायदे से सीट मैट्रिक्स डीएमई की वेबसाइट में अपलोड कर देना था, लेकिन काउंसलिंग कमेटी ने ऐसा नहीं किया। कई छात्र व पालक यह आरोप लगा रहे हैं कि खाली सीटों की कैटेगरीवार जानकारी नहीं देने का मतलब ये है कि पारदर्शिता खतरे में है। उनका यहां तक कहना है कि अपने लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए सीटों की जानकारी नहीं दी जा रही है। मेडिकल एक्सपर्ट का भी कहना है कि प्रत्येक राउंड में काउंसलिंग की पारदर्शिता बनी रहनी चाहिए। इसके लिए एमबीबीएस सीटों की जानकारी अपलोड की जानी चाहिए। पहले राउंड में भी बिना मेरिट सूची जारी किए च्वॉइस फिलिंग करवाई गई। जानकार इस पर भी सवाल उठा रहे हैं।
केस-1: अनरिजर्व कैटेगरी के नीट स्कोर 598 वाला छात्र च्वॉइस फिलिंग के लिए भटक रहा है। उन्हें यह नहीं पता कि किन-किन सरकारी या निजी मेडिकल कॉलेजों में किस कैटेगरी की कितनी सीटें खाली हैं। बुधवार को वह नेहरू मेडिकल कॉलेज में भटक रहा था। छात्र को पूरी जानकारी के लिए काउंसलिंग से जुड़े अधिकारियों से मिलने के लिए कहा गया।
केस-2: एक छात्र कोरबा में प्रवेश ले चुका है। उन्हें अपग्रेडेशन के लिए नए कॉलेजों के लिए च्वॉइस फिलिंग करनी है। उनके सामने धर्मसंकट ये है कि उन्हें यही नहीं पता कि पसंद के कॉलेज में ओबीसी कैटेगरी की सीट खाली है या नहीं। कॉलेज प्रबंधन से पूछने पर उन्होंने इस संबंध में अनभिज्ञता जताई और छात्र को चलता कर दिया गया।

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