CG Hospital: ऑटोमेटिक जांच करने वाली मशीनें बंद
पत्रिका ने प्रदेश के 500 से ज्यादा प्राथमिक, सामुदायिक और जिला अस्पतालों का जायजा लिया, जहां ऑटोमेटिक जांच करने वाली मशीनें बंद पड़ी है। ये मामला इतना बड़ा हो गया है कि हाल ही में बिलासपुर हाईकोर्ट ने भी इस पर संज्ञान लिया है।एक ही छत के नीचे जांच और इलाज की सुविधा
इसका मकसद था कि मरीजों को प्राथमिक से लेकर बड़े सरकारी अस्पतालों में एक ही छत के नीचे जांच और इलाज की सुविधा मिल सके। इस फंड से प्रदेश में 200 करोड़ से अधिक की जांच करने वाली ऑटोमेटिक मशीनें लगाई गई।ये है विवाद: एक साल से केमिकल सप्लाई का सिस्टम बंद
पत्रिका ने पड़ताल की तो पता चला कि सरकारी अस्पतालों में जहां फुली ऑटोमेटिक मशीनें लगी है, वहां बीते एक साल से इनमें काम आने वाले कैमिकल यानी रीएजेंट की सप्लाई नहीं हुई है। एक्सपर्ट का कहना है कि केमिकल की कमी से लंबे वक्त तक मशीनें बंद रहती हैं तो इनके खराब होने की आशंका बढ़ जाती है, जो कंपनी मशीनें बनाती है केवल उन्हीं कंपनियों का केमिकल इनमें इस्तेमाल हो सकता है।CG Medical College: मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों को अब करना होगा ये जरूरी काम, वरना नहीं मिलेगी छुट्टी
चूंकि पिछले एक साल से सरकारी दवा उपकरण क्रेता कंपनी सीजीएमएससी ने फुली ऑटोमेटिक मशीनें बनाने वाली कंपनी का 300 करोड़ से ज्यादा का पेमेंट होल्ड कर दिया है। साथ ही, नया कोई वर्क ऑर्डर भी जारी नहीं किया है। इसके चलते अब इन मशीनों से टेस्ट ही नहीं हो रहे हैं।एक्यूरेसी के लिए लगे हैं बार कोड
पड़ताल में सामने आया कि इन ऑटोमेटिक मशीनों में बारकोड लगे हैं। एम्स दिल्ली समेत देश के सभी बड़े अस्पतालों में बारकोड वाली मशीनें ही उपयोग की जाती है। सभी निर्माता कंपनियां ऐसा इसलिए भी करती है ताकि किए जा रहे हर टेस्ट में पूरी तरह एक्यूरेसी रहे। टेस्ट सही होंगे तो ही मरीजों को रिपोर्ट के आधार पर सही इलाज भी मिल सकेगा।दुर्ग से बिल्हा तक हर जगह टेस्ट के लिए लंबी कतारें
पत्रिका ने अलग अलग जिलों के सरकारी अस्पतालों की जमीनी पड़ताल की तो वहां पर पैथालॉजिकल टेस्ट के लिए मरीजों की लंबी कतारें नजर आई। मरीजों ने बताया कि टेस्ट के लिए 15-15 दिन की वेटिंग चल रही है। अगर जल्दी टेस्ट करवाना है तो इसके लिए प्राइवेट में जाकर जांच करवाने के लिए कहा जा रहा है। जिन मरीजों के सैंपल लिए गए, उनको भी रिपोर्ट के लिए बार बार अस्पताल आना पड़ रहा है। जांच रिपोर्ट देने में बहुत देरी हो रही है।नया टेंडर हो गया है।