धनतेरस का पर्व
कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन शाम को 13 दीप दरवाजे में जलाकर माता धनलक्ष्मी जी की पूजा की जाती है। इस दिन हमारे गांवों में पारम्परिक तौर पर सुबह तालाब या नदी किनारे से गौरा-गौरी निर्माण हेतु मिट्टी लाया जाता है। गोड समुदाय द्वारा छत्तीसगढ़ी विवाह गीत गाकर बडे ही प्यार से मिट्टी लाया जाता है। जिसके बाद शाम में ग्रामवासियों को निमंत्रण देकर सारे घरों से फूल लेकर एक जगह एकत्रित होकर फूल से-देवी- देवता श्रृंगार हेतु गहने बनाए जाते है जिसे छत्तीसगढ़ी में (फल कूचरना) कहते है।CG Festival Blog: दीवाली तब और अब: रौशन होती दीपावली के साथ मैंने बिखरते देखे हैं परिवार
नरक चतुर्दशी का पर्व
दिवाली से एक दिन पहले नरक चतुर्दशी का पर्व मनाया जाता है, यह पर्व हर वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन को छोटी दिवाली, काली चौदस और रूप चौदस के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन मृत्यु के देवता यमराज की पूजा भी की जाती है और दक्षिण दिशा में यम के नाम का दीपक भी जलाया जाता है। इस दिन यम पूजा के साथ कृष्ण पूजा और काली पूजा भी की जाती है।लक्ष्मी पूजा की तैयारी
अगले दिन अमावस्या तिथि के दिन सुबह रंगोली, विवाह गीत के जरिए गांवो में उत्साह के साथ ही लक्ष्मी पूजा की तैयारी की जाती है। इस दिन शाम में ग्रामवासी अपने घरों में लक्ष्मी माता का श्रद्धापूर्वक पूजा करते है तथा गोड़ समुदाय की महिला सुआ गीत गाकर घरों-घर जाकर सुआ नृत्य करते हैतथा गौरा – गौरी विवाह हेतु गांव वालो को नियंत्रण देते है। इसके साथ ही ग्रामीण मिलकर पार्वती – शिव का विवाह कराते हैं। गांव के पुरुष मनोरंजन हेतु ताश – पासा खेलते हैं।गोवर्धन पूजा
गोवर्धन पूजा का पर्व दिवाली के अगले दिन मनाया जाता है, जिसे अन्नकूट पर्व के नाम से भी जाना जाता है। गोवर्धन पूजा के दिन विधिपूर्वक भगवान श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही 56 तरह के भोग अर्पित किए जाते हैं। धार्मिक मान्यता है कि उपासना करने से साधक को जीवन के समस्त दुख से मुक्ति मिलती है।लोगों से प्रेमपूर्व होता है मिलन
गोवर्धन पूजा के शाम में गोठान में गोवर्धन पूजा हेतु गोबर से गोवर्धन बनाया जाता हैं। यादव (राउत), समाज द्वारा दोपहर में घरों- घर जाकर सोहई गीत गाते हुए धान कोठी में सोई बाधा जाता हैं। शाम में यादव (राउत) समुदाय द्वारा गाना गाकर गाव वालो को आमंत्रित किया जाता है। लोग राउत नाचा, गाना – बाजा के साथ गौठान जाकर गोवर्धन पूजा कर उसी देवता को उठाकर घरों घर जाकर परिवार, मित्र सब एक-इसरे में गोबर का टिका लगाकर दिवाली व सुख समृद्धि की बधाई देते हैं। गांवो में गाने, फटाके, आतिशबाजी के साथ दीपावली का त्यौहार मनाया जाता है।भाई दूज का पर्व
भाई दूज का त्योहार भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का प्रतीक माना जाता है। भाई दूज को भाई टीका, यम द्वितीया, भ्रातृ द्वितीया आदि नामों से भी जाना जाता है। भाई दूज कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मनाया जाता है। इस दिन बहनें स्नान-ध्यान के बाद यम देव की पूजा करती हैं। इसके बाद अपने भाई के हाथ पर रक्षा सूत्र बांधती हैं और माथे पर तिलक लगाती हैं। इस समय बहनें यम देवता से अपने भाई की लंबी आयु और सुख-सौभाग्य में वृद्धि के लिए कामना करती हैं।जिला – बेमेतरा (नवागांव)