CG Eye bank: डॉक्टरों के अनुसार उम्रदराज लोगों की मिली आंखें कम उम्र या युवाओं को नहीं लगा सकते। वेटिंग का सबसे बड़ा कारण ये भी है। दूसरा बड़ा कारण एक टाइम लिमिट में कॉर्निया ट्रांसप्लांट करना रहता है। इस कारण कारण कई मरीज समय पर अस्पताल नहीं पहुंचते, जिसके कारण कॉर्निया खराब हो जाती है।
CG Eye bank: लोगों में जागरूकता की कमी
प्रदेश में नेत्रदान पखवाड़ा 8 सितंबर को खत्म हो गया। इस दौरान प्रदेश के 7 आई बैंकों को गिनती की आंख मिली हैं। आंबेडकर को तीन आंख मिली है। विशेषज्ञों के अनुसार लोगों में जागरूकता की कमी है। कई भ्रांतियां भी नेत्रदान में आड़े आ रही है। पत्रिका की पड़ताल में पता चला है कि लोगों को जागरूक करने के लिए स्कूली बच्चों के बीच अभियान चलाया गया। आंबेडकर
अस्पताल की ओर से तेलीबांधा तालाब व नर्सिंग कॉलेज की छात्राओं को नेत्रदान के लिए प्रेरित किया गया। विशेषज्ञों के अनुसार विभिन्न समाज के बीच अभियान चलाकर नेत्रदान को बढ़ाया जा सकता है। अब नेत्रदान के लिए संकल्प पत्र भरने की भी जरूरत नहीं है। 2020 में केंद्र सरकार ने संकल्प पत्र की अनिवार्यता खत्म कर दिया था।
6 घंटे में निकालना जरूरी, 72 घंटे में लगाना अनिवार्य
किसी मृत व्यक्ति की आंख 6 घंटे के भीतर निकालना अनिवार्य है। वहीं इसे 72 घंटे के भीतर किसी व्यक्ति को लगाना जरूरी है। हालांकि
मेडिकल साइंस में अब ऐसे मीडिया आ गए हैं, जिसके कारण आंख को 7 से 10 दिनों तक सुरक्षित रखा जा सकता है। आंबेडकर में ऐसी व्यवस्था है। हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि अच्छा रिजल्ट देना है तो आंख को निकालने के बाद जितनी जल्दी कॉर्निया ट्रांसप्लांट कर दिया जाए, उतना ही अच्छा है।
गारंटी दो कि मेरे पिता की आंख को चोर-डाकू को नहीं लगाओगे
सालभर पहले धमतरी के कुरूद में एक व्यक्ति अपने पिता की आंख देने से मना कर दिया। वह
आंख निकालने वाली डॉक्टरों की टीम से इस बात की गारंटी चाह रहा था कि उनके पिता की आंख किसी चोर या डाकू को नहीं लगाया जाएगा। इस पर स्टेट नोडल अफसर से उस व्यक्ति की समझाईश भी दी, लेकिन उन्हें मनाया जा सका। अंतत: टीम बिना आंख लिए वापस लौट आई। ऐसी कई घटना है, जिसमें टीम को अजीब स्थिति का सामना करना पड़ा हो।