CG Doctors: डॉक्टर्स ने निकाला हार्ट से जुड़ा ढाई किलो का ट्यूमर, मासूम को मिला नया जीवन
CG Doctors: रायपुर के पं. जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज से संबद्ध एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट (एसीआई) में कार्डियो थोरेसिक एंड वेस्कुलर सर्जन की टीम ने 5 साल के मासूम के हार्ट के ऊपर से ढाई व 35 वर्षीय युवक के हार्ट से डेढ़ किलो का ट्यूमर निकाला।
CG Doctors: छत्तीसगढ़ के राजधानी रायपुर में अजीब मामला सामने आया है दरअसल पं. जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज से संबद्ध एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट (एसीआई) में कार्डियो थोरेसिक एंड वेस्कुलर सर्जन की टीम ने 5 साल के मासूम के हार्ट के ऊपर से ढाई व 35 वर्षीय युवक के हार्ट से डेढ़ किलो का ट्यूमर निकाला।
CG Doctors: कार्डियो, चेस्ट व वेस्कुलर सर्जन डॉ. कृष्णकांत साहू के अनुसार दोनों दुर्लभ मेडिस्टाइनल ट्यूमर थे। ये छाती के भीतर व हार्ट के ऊपर होने से क्रिटिकल केस था। कुछ समय के अंतराल में दो सर्जरी कर विभाग ने कीर्तिमान रच दिया है। सर्जरी के बाद दोनों मरीज स्वस्थ है और अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है। रायगढ़ निवासी 5 साल के मासूम का ट्यूमर ढाई किलो का होने के कारण यह काफी बड़ा था। यह आधे सीने को घेरे था। यही नहीं फेफड़े, महाधमनी, पल्मोनरी आर्टरी व हार्ट काफी ज्यादा चिपका हुआ था।
मासूम के माता-पिता के अनुसार क्रिटिकल केस बताते हुए कुछ निजी अस्पतालों ने बच्चे की सर्जरी करने से मना कर दिया। इसके बाद परिजन एसीआई पहुंचे। मेडिकल भाषा में इसे मेडिस्टाइनल ट्यूमर को इमैच्योर टेरैटोमा कहा जाता है। विभाग के एचओडी डॉ. साहू ने बताया कि ट्यूमर के बड़े आकार को देखते हुए पैरेंट्स को यह भी बता दिया गया था कि हो सकता है यह ट्यूमर न निकल पाए और इसे छोड़ना पड़े। ट्यूमर को निकालने के लिए दोनों ओर से चीरा लगाकर सर्जरी की गई। मासूम के लिए हार्ट लंग मशीन को भी तैयार करके रखना पड़ा था, क्योंकि यदि ऑपरेशन करते-करते कहीं बड़ी नस या हार्ट फट जाता तो इस मशीन से जान बचाने में सहायता मिलती। अब वह पूरी तरह स्वस्थ है और उसने स्कूल जाना भी शुरू कर दिया है।
एक युवक को भी मिला नया जीवन, सांस में थी तकलीफ
जांजगीर-चांपा निवासी 32 वर्षीय मरीज को 10 महीने से सीने में भारीपन, खांसी व सांस लेने में तकलीफ थी। दो साल पहले मरीज को इस बीमारी के बारे में पता चला, लेकिन सर्जरी के लिए हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था। ट्यूमर कैंसर निकला और यह हार्ट के ऊपर स्थित था। बाएं फेफड़े व फेफड़े की मुख्य नस (मेन पल्मोनरी आर्टरी) से चिपका था। इसके कारण इस ट्यूमर को निकालना बेहद ही मुश्किल था। इसका वजन लगभग 1.5 किलोग्राम था। ट्यूमर के साथ ही साथ आस-पास फैले हुए लिम्फ नोड को भी अच्छी तरह से निकाला गया जिससे पुन: कैंसर होने की संभावना न रहे।
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