इसे ग्रामीण क्षेत्रों में औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने और
महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के उद्देश्य से शुरू किया गया था। विडंबना यह है कि इस प्रोजेक्ट में पिछले चार महीनों से कोई गतिविधि नहीं हो रही है। यह पूरी तरह से बंद पड़ा हुआ है। इस पार्क में विभिन्न प्रकार के उद्योगों की शुरुआत की गई थी, जैसे बेकरी यूनिट, बोरी सिलाई यूनिट, कपड़ा सिलाई यूनिट और दोना-पत्तल यूनिट। ये सभी यूनिट अब बंद हो चुकी हैं। और कारण है उनके संचालन के लिए जरूरी संसाधनों और देखरेख की कमी। खासकर बेकरी यूनिट, जो कभी इलाके में एक प्रमुख व्यवसाय था, अब बंद हो चुका है। पहले बेकरी से स्थानीय बाजारों में ऑर्डर आते थे, लेकिन अब वह भी पूरी तरह से ठप हो गए हैं। उद्योगों के बंद होने से समूह की महिलाओं की आजीविका भी प्रभावित हो रही है।
प्रोडक्ट को बेचने नहीं मिला उचित माध्यम
महिला सशक्तिकरण के उद्देश्य से इस पार्क में 100 महिलाओं को स्वावलंबन की ओर अग्रसर करने के लिए भी प्रशिक्षण और रोजगार के अवसर प्रदान किए गए थे, लेकिन अब यह सभी योजनाएं धरातल पर नहीं उतर पाई हैं। बेलटुकरी की जो महिलाएं यहां काम करने जाती थीं, उन्होंने बताया कि शुरुआती दिनों में सब ठीक था। प्रोडक्ट को सी-मार्ट में रखा गया था, लेकिन जैसे-जैसे प्रोडक्शन बढ़ा, उन्हें बेचने के लिए उचित बाजार नहीं मिल पाया। ऐसे में प्रोडक्ट नहीं बिकने के कारण स्टॉक बढ़ता गया। आर्डर नहीं आ रहे थे, जिसके कारण रीपा केंद्र में जाना भी बंद कर दिया गया। इधर, देखरेख के अभाव में मशीनों में धूल लग रही है।
रीपा का काम बंद, खाद के 50 हजार भी नहीं मिले
बेलटुकरी सरपंच नरेंद्र सिंह शासन ने डेढ़ साल पहले गांव में रीपा प्रोजेक्ट की शुरुआत की थी। यहां बेकरी, सिलाई सहित अन्य यूनिट बंद हैं। समूह की महिलाओं को रोजी तक नहीं मिल पाई। पिछली बार एरमशाही के केंद्र में बेचा गया खाद का तकरीबन 50 हजार रुपए भी नहीं मिल पाया है। सामान्य बनाने के बाद उसे बेचने के लिए उचित बाजार नहीं मिलने के कारण यह योजना अब बंद हो गई है।
कुछ यूनिट बंद, उन्हें चालू कराएंगे
एनआरएलएम मिशन प्रबंधक रामेंद्र सिंह गुर्जर बेलटुकरी में सिलाई मशीन, बोरा सिलाई, बेकरी, खाद प्रोसेसिंग के कुछ यूनिट बंद हैं। यहां फ्लाई ऐश के ईंट और कुछ अन्य गतिविधियां चल रही हैं। महिलाएं ही काम करने में रुचि नहीं दिखा रही हैं क्योंकि वे घर में ही कपड़े सिल लेती हैं। जो यूनिट बंद हैं, उन्हें अन्य महिला समूहों को देकर शुरू कराने के लिए जनपद और पंचायत के अफसरों को कहा गया है।