डीकेएस सुपर स्पेशलिटी अस्पताल है इसलिए वहां ब्रेन व नस संबंधी बीमारी, हेड इंजुरी, किडनी, पेट, बर्न केस आदि बीमारियों का इलाज होता है। हेड इंजुरी में तत्काल सीटी स्कैन कराने की भी जरूरत पड़ती है। अगर ऑपरेशन करना है तो तत्काल एचआईवी या सीबीसी, डायबिटीज जांच कराने की भी जरूरत पड़ती है। ऐसे में मरीजों को जांच के लिए जेब से पैसे देने पड़ रहे हैं। कार्ड ब्लॉक नहीं होने से आंबेडकर अस्पताल में भी एमआरआई, सीटी स्कैन जैसी महंगी जांच के लिए मरीजों से पैसे मांगे जा रहे है। सबसे ज्यादा उन मरीजों को परेशानी हो रही है, जो गरीब है। ऐसे मरीज पैसे देने में सक्षम नहीं है। उन मरीजों का कार्ड बाद में ब्लॉक करने को कहा जा रहा है। मरीजों को राहत नहीं मिल रही है। स्टेट नोडल एजेंसी कार्यालय को तकनीकी खराबी की सूचना दे दी गई है, लेकिन वहां से भी समाधान नहीं हो रहा है।
जिन लोगों के पास पहले से आयुष्मान कार्ड नहीं बना रहता, उनका अस्पताल में तत्काल आयुष्मान कार्ड बना दिया जाता है। इसके लिए राशनकार्ड व आधार नंबर होना अनिवार्य है। यह सुविधा केवल सरकारी अस्पतालों में दी गई है। ताकि इलाज के लिए आने वाले मरीजों को कोई परेशानी न हो। निजी अस्पतालों में इलाज कराने वाले मरीज भी सरकारी अस्पताल जाकर आयुष्मान कार्ड बना सकते हैं।
21576107 (16 सितंबर 2018 से) कुल हितग्राही- 3152077 कुल क्लेम- 5305838 प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में 95 फीसदी से ज्यादा लोग आयुष्मान कार्ड से फ्री इलाज कराते हैं। इसलिए उन्हें किसी भी जांच के लिए पैसे देने की आदत नहीं है। ऐसे में अस्पताल स्टाफ के साथ मरीज के परिजनों से विवाद भी हो रहा है। फ्री इलाज नहीं होने से विवाद बढ़ते ही जा रहा है। कई लोग परिजनों को जरूरी जांच व इलाज के लिए फोन कर पैसे मंगा रहे हैं। कई लोगों को पैसे देने में भी परेशानी हो रही है।
अस्पताल में जिन लोगों का आयुष्मान कार्ड बनाया जा रहा है, उनका कार्ड ब्लॉक नहीं हो रहा है। इससे मरीजों का फ्री इलाज करने में दिक्कत हो रही है। मरीज परेशान तो हो रहे हैं, लेकिन अस्पताल प्रबंधन अपने स्तर पर मदद भी कर रहा है। रात में तकनीकी समस्या कुछ दूर हुई है।
-डॉ. हेमंत शर्मा, उप अधीक्षक, डीकेएस अस्पताल